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अरुण जेटली ने काला धन कानून के तहत तर्कसंगत सुविधा देने का वादा किया

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कालेधन से जुडे नये कानून में विदेशों में रखे धन का खुलासा करने के लिये तर्कसंगत अनुपालन सुविधा देने का वादा किया और कहा कि विदेश में छुपाए गए अघोषित धन पर शिकंजा कसने को कर आतंकवाद नहीं माना जाना चाहिये. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की सालाना […]

नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कालेधन से जुडे नये कानून में विदेशों में रखे धन का खुलासा करने के लिये तर्कसंगत अनुपालन सुविधा देने का वादा किया और कहा कि विदेश में छुपाए गए अघोषित धन पर शिकंजा कसने को कर आतंकवाद नहीं माना जाना चाहिये.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की सालाना आम बैठक में उद्योग प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने अघोषित विदेशी आय एवं परिसंपत्ति (करारोपण) विधेयक 2015 में प्रस्तावित अनुपालन खिडकी के ढांचे में सुधार के संबंध में सुझाव भी मांगे.
वित्त मंत्री ने कहा, अतीत में गलती करने वालों के लिए एक बेहद तर्कसंगत अनुपालन सुविधा प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा, इसमें यदि कुछ तर्कसंगत करने की जरुरत होती है तो सरकार या संसद या विधायिका ऐसे तर्कसंगत सुझावों के लिये खुली होगी. सरकार ने विदेश में जमा काले धन की समस्या से निपटने के लिए लोकसभा में एक सख्त विधेयक पेश किया. इसमें अन्य प्रावधानों के अलावा विदेश में रखा धन छुपाने के लिए 10 वर्ष की कैद का भी प्रावधान किया गया है.
विधेयक में रखे धन अथवा परिसंपत्ति का खुलासा करने के संबंध में कानून में अल्पकालिक अनुपालन सुविधा भी दी जायेगी. जेटली ने कहा कि काले धन से निपटने के लिए अमेरिका और जी-20 जैसे संगठनों द्वारा वैश्विक स्तर पर की जा रही पहलों के मद्देनजर किसी के लिए भी विदेशी परिसंपत्ति को छुपाना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा, अगले दो-तीन साल में सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के लिए जी-20 की पहल एक शक्ल ले लेगी. भारत, अमेरिकी कानूनी एफएटसीए पर हस्ताक्षर करने वाला देश बनने जा रहा है इसके बाद न सिर्फ अमेरिका बल्कि कई अन्य देश परस्पर एक-दूसरे के प्रति अपना दायित्व निभायेंगे.
जेटली ने कहा, अतीत में जो संपर्क टूटा रहा वह सामने आयेगा, बजाय इसके कि ऐसे मौके का इंतजार किया जाए जबकि लोग मुश्किल में पडे और फिर कहा जाए कि विदेश में अघोषित आय या परिसंपत्ति पर निशाना साधा जा रहा है और यह कर आतंकवाद है, यह सबके हित में होगा कि कानून का अनुपालन किया जाए.
जेटली ने कहा कि अघोषित विदेशी परिसंपत्तियों का पता लगाने के लिए विश्व स्तर पर की जा रही कोशिशों के मद्देनजर कर प्रणाली अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होने जा रही है.
कार्पोरेट कर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने के अपने बजट प्रस्ताव का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसको लेकर किसी को खतरा मोल नहीं लेना चाहिये क्योंकि इसमें जोखिम बहुत बडा होने वाला है.
प्रस्तावित अनुपालन खिडकी का ब्योरा देते हुए जेटली ने कहा कि संसद नया कर कानून लाने वाला है. इसलिए यह कहना उचित होगा कि एक अनुपालन सुविधा होगी. इस अनुपालन सुविधा और इसके तरीके तथा अनुपालन के दायरे आदि के बारे में हर तरह के सुझाव का स्वागत है.
मंत्री ने यह भी वादा किया कि वह विधि आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के प्रावधानों पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा, कई अन्य चुनौतियां हैं, ये चुनौतियां निर्णय प्रक्रिया के उचित होने के साथ-साथ निडर होने से भी जुडी है. जेटली ने कहा कि हालांकि भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम का मसौदा 1988 में उदारीकरण से पहले तैयार हुआ था और यह नौकरशाहों को फैसले लेने से रोकता है.
वित्त मंत्री ने कहा, विधि आयोग ने सिफारिशें भेजी हैं, बदले माहौल में इस पर पुनर्विचार की जरुरत है. उद्योग और निर्णय लेने वालों, दोनों के खिलाफ भारी संख्या में आपराधिक मामले आए और पिछले कुछ साल में इससे देश का आर्थिक और कारोबारी माहौल बाधित हुआ. विभिन्न कानूनों की भाषा पर गंभीरतापूर्व गौर करने की जरुरत है ताकि इस समस्या को दूर किया जाये.

जेटली ने उद्योग से कहा कि वे कानून में बदलाव के सुझाव के लिए कार्यसमूह का गठन करें ताकि निर्णय प्रक्रिया को व्यवस्थित किया जा सके और यह सुनिश्चित हो कि गलती तथा भ्रष्टाचार के मामलों से अलग-अलग निपटा जा सके.
उन्होंने कहा, मैं उद्योग समेत सभी से अपील करुंगा कि वे कार्य समूहों का गठन करें और इस बहस की प्रक्रिया में मदद करें कि निर्णय में गलती को निर्णय प्रक्रिया में भ्रष्टाचार से अलग करने के लिए किस तरह के बदलाव की जरुरत है. दोनों से अलग तरीके से निपटने की जरुरत है.

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