मुंबई: रिजर्व बैंक की ओर से आज ब्याज दरों में कटौती के लिये दबाव बढाये जाने के बाद भारतीय स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 प्रतिशत तक कटौती की.
बैंकों के इस कदम से मकान, दुकान और वाहनों के लिये कर्ज सस्ता होने का रास्ता खुल गया है. इन प्रमुख बैंकों के बाद दूसरे बैंक भी जल्द ही दरें घटा सकते हैं. इससे पहले, बेमौसम वर्षा से खाद्य पदार्थों के दाम पर असर पडने को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में अपनी नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया जिससे उद्योगों और ग्राहकों को निराशा हुई पर केंद्रीय बैंक ने बैंकों से पिछली कटौतियों का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिये दबाव बढा दिया था.
ब्याज दरों में कटौती नहीं करने के बैंकों के रख को देखते हुये रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने गहरी नाराजगी जताई जिसके बाद घंटेभर की अवधि में तीन प्रमुख बैंकों ने कर्ज की अपनी आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 प्रतिशत कटौती की घोषणा कर दी. स्टेट बैंक ने 10 अप्रैल से अपनी आधार दर 0.15 प्रतिशत घटाकर 9.85 प्रतिशत करने की घोषणा की जबकि आईसीआईसी बैंक ने आधार दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 9.75 प्रतिशत कर दी.
राजन ने आज वर्ष 2015-16 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुये बैंकों द्वारा धन की लागत उंची होने के चलते ब्याज दरें नहीं घटाने के तर्क को ‘बेतुका’ बताया. उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के दबाव और नकदी की अच्छी स्थिति को देखते हुए उन्हें ब्याज कम करना ही पडेगा, पर वे जितना जल्दी ऐसा करेंगे, अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही अच्छा होगा.
हालांकि आरबीआइ ने जनवरी से अब तक दो बार में मुख्य दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है लेकिन बैंकों ने मुख्य दरों में कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया है. राजन ने आज अपनी नीतिगत दरों को पिछले स्तर पर बरकार रखा लेकिन उम्मीद जतायी कि प्रतिस्पर्धा के दबाव और धन की सहज स्थिति के चलते बैंक अपना कर्ज सस्ता करेंगे.
रघुराम राजन ने कहा था कि नकदी की आरामदेह स्थिति के मद्देनजर बैंकों को नीतिगत दरों में हालिया कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को देना चाहिए जिससे ताकि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण की स्थिति में सुधार हो. आरबीआइ ने कहा कि वह आगे भी उदार मौद्रिक नीति बरकरार रखेगा. नीति में कहा गया कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में पहले की गयी कटौती के प्रभाव में बैंकों की ब्याज दरों में कटौती का इंतजार करेगा.
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