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15 सालों में 2000 डॉलर से बढ़कर 8000 डॉलर की हो जाएगी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था : पनगढि़या

नयी दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष अरविंद पनगढि़या ने कहा कि अगले 15 साल तक भारतीय अर्थव्‍यवस्था में 8-10 प्रतिशत की दर वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है हालांकि डालर के हिसाब से घरेलू अर्थव्यवस्था का विस्तार और भी ज्यादा हो सकता है. पनगढिया ने उर्जा क्षेत्र के एक सम्मेलन में कहा ‘मुझे उम्मीद है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 13, 2015 3:03 PM
नयी दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष अरविंद पनगढि़या ने कहा कि अगले 15 साल तक भारतीय अर्थव्‍यवस्था में 8-10 प्रतिशत की दर वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है हालांकि डालर के हिसाब से घरेलू अर्थव्यवस्था का विस्तार और भी ज्यादा हो सकता है.
पनगढिया ने उर्जा क्षेत्र के एक सम्मेलन में कहा ‘मुझे उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले 15 साल तक 8-10 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज करेगी.’ उन्होंने कहा ‘यदि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर वास्तविक रूप से रुपए में 8-10 प्रतिशत रहेगी तो डॉलर के लिहाज से यह करीब 11-12 प्रतिशत रहेगी और इस तरह की वृद्धि से भारत 8,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था हो जाएगा जो फिलहाल 2,000 अरब डालर के बराबर है.’
वित्त मंत्रालय ने आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए 8-8.5 प्रतिशत और आगामी वर्षों में दहाई अंक की वृद्धि का अनुमान जताया गया है. नीति आयोग के प्रमुख ने कहा कि पूर्व राजग सरकार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था ने आठ प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की और यह लंबे समय तक बरकरार रही.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अग्रिम अनुमानों के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि 2014-15 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि भारत के हालिया अनुमान के मुताबिक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान बढकर 7.8 प्रतिशत रहेगी.
उर्जा क्षेत्र की चुनौतियों का हवाला देते हुए पनगढिया ने कहा कि देश के और संपन्न होने के साथ बिजली, कोयला, तेल की मांग बढेगी.
पनगढिया ने कहा ‘भारत के और संपन्न होने के साथ-साथ उर्जा की मांग बढेगी. मुझे उम्मीद है कि भारत की उर्जा की मांग आने वाले समय में तेजी से बढेगी.’ उन्होंने कहा कि भारत को तेजी से विस्तार की जरुरत है जिसकी एक साधारण वजह यह है कि एक चौथाई घरों में बिजली नहीं है उन्होंने कहा कि उर्जा की बढती खपत पर्यावरण के लिहाज से बडी चुनौती पेश करेगी.
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ‘आखिरकार भारत सबसे बडा प्रदूषणकर्ता नहीं है, भारत किसी भी तरह भारी पैमाने पर प्रदूषण करने वाला देश नहीं है और इसकी ज्यादातर जिम्मेदारी पश्चिमी देशों पर है.’ पनगढिया ने कहा कि हालांकि एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है जिस लिहाज से भारत को स्वच्छ उर्जा को प्रोत्साहित करने की जरुरत है और यह दृष्टिकोण है घरेलू उपयोग.

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