सरकार पर बरसे सुब्बाराव,रुपये की गिरावट को लेकर सुनायी खरी-खरी
मुंबई:रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने सेवानिवृत्ति से पहले अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में गुरुवार को मौजूदा आर्थिक हालात के लिए सीधे सरकार की ढुलमुल वित्तीय नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और चेतावनी देते हुए कहा कि रुपये के अवमूल्यन के पीछे घरेलू संरचनात्मक कारक ही मूल वजह हैं. सुब्बाराव ने कहा, हालांकि, रुपये में […]
मुंबई:रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने सेवानिवृत्ति से पहले अपने आखिरी सार्वजनिक संबोधन में गुरुवार को मौजूदा आर्थिक हालात के लिए सीधे सरकार की ढुलमुल वित्तीय नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और चेतावनी देते हुए कहा कि रुपये के अवमूल्यन के पीछे घरेलू संरचनात्मक कारक ही मूल वजह हैं.
सुब्बाराव ने कहा, हालांकि, रुपये में गिरावट का समय और उसकी रफ्तार के पीछे अमेरिका के फेडरल रिजर्व की घोषणा पर बाजार की त्वरित प्रतिक्रिया ही रही है, लेकिन हम यदि यह नहीं मानेंगे कि समस्या की असली वजह घरेलू कारक हैं तो हम इसके निदान और इलाज दोनों ही मामले में रास्ते से भटक जायेंगे.
करें सच का सामना
आरबीआइ भी है जिम्मेदार
वित्तीय नीतियों की जिम्मेदारी
सुब्बाराव ने वर्ष 2009 से लेकर 2012 तक सरकार की कमजोर वित्तीय नीतियों को कमजोर आर्थिक वृद्धि और ऊंची मुद्रास्फीति के लिए दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि यदि वित्तीय मजबूती तेजी से होती तो संभव था कि मौद्रिक नीति में इतनी सख्ती नहीं होती. गवर्नर ने कहा कि समस्या की असली वजह चालू खाते का ऊंचा घाटा (कैड) है जो कि पिछले तीन साल से लगातार ऊंचा बना हुआ है. इस तरह के संरचनात्मक निदान के लिए रिजर्व बैंक के पास नीतिगत मामले में बहुत कम गुंजाइश बची है. ये उपाय सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. सुब्बाराव ने कहा कि हालांकि अंतरिम समय के दौरान हम रुपये में स्थिरता लाना चाहते हैं, इसमें भारी उतार चढाव को कम करना चाहते हैं जो कि रिजर्व बैंक के दायरे में आता है.
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