नई दिल्ली : नये कंपनी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गयी है. इस नये कंपनी कानून के अस्तिस्त में आने के बाद देश में उद्योगों के लिए बनाया गया करीब छह दशक पुराना कानून निष्प्रभावी हो जाएगा.सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कंपनी विधेयक-2013 को 29 अगस्त को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की मंजूरी मिल गयी. […]
नई दिल्ली : नये कंपनी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल गयी है. इस नये कंपनी कानून के अस्तिस्त में आने के बाद देश में उद्योगों के लिए बनाया गया करीब छह दशक पुराना कानून निष्प्रभावी हो जाएगा.सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कंपनी विधेयक-2013 को 29 अगस्त को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की मंजूरी मिल गयी.
नया कंपनी कानून देश में कंपनी नियामक और परिचालन के तरीको में व्यापक परिवर्तन प्रदान करेगा. इस विधयेक को एक माह पहले ही संसदीय मंजूरी मिल चुकी है. नया विधेयक कंपनी कानून 1956 का स्थान लेगा.कंपनी मामलों का मंत्रलय फिलहाल इस विधेयक के नये नियम एवं कानून तैयार कर रहा है.
कानून के तहत नये कायदा कानूनों का मसौदा दो सप्ताह में सुनिश्चित हो जाने की उम्मीद है. इसे मंत्रालय की बेवसाइट में डाल दिया जाएगा. इसके बाद शेयरधारक और आम निवेशक के साथ अन्य को इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए 60 दिनों का समय दिया जाएगा.
कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने इससे पहले कहा कि सरकार नये कंपनी विधेयक के नियमों-निदेशरे का ब्योरा तय करने में पारदर्शिता एवं संवादात्मक प्रक्रिया अपनाएगी.नये कंपनी विधेयक में उद्योगों के लिए सामाजिक कल्याण की गतिविधियों में खर्च करने, प्रवर्तकों द्वारा किसी ठगी अथवा धोखाधडी के प्रति निवेशकों को जागरुक करने, कंपनियों में महिला निदेशकों को शामिल करने और कंपनी प्रशासन संबंधी मामलों में अत्यधिक पारदर्शिता लाने संबंधी प्रावधान किये गये हैं.
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