GST पर राज्यों के बीच मोटे तौर पर आमसहमति है : अरुण जेटली
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राज्यों के बीच एक मोटी आमसहमति बन चुकी है और जीएसटी लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद के चालू सत्र में पारित कराया जाएगा. जेटली ने उम्मीद जतायी कि जीएसटी अगले साल पहली अप्रैल से लागू […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर राज्यों के बीच एक मोटी आमसहमति बन चुकी है और जीएसटी लागू करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद के चालू सत्र में पारित कराया जाएगा. जेटली ने उम्मीद जतायी कि जीएसटी अगले साल पहली अप्रैल से लागू हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि देश भर में एक एकीकृत बाजार तैयार होगा और कर पर कर लगने के दुष्प्रभाव समाप्त होंगे. वित्त मंत्री ने आज यहां जीएसटी की योजना पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की जिसमें 18 राज्यों के मंत्री शामिल थे. जेटली ने बाद में संवाददाताओं को बैठक की जानकारी दी.
उन्होंने कहा, ‘मोटे तौर पर यह आमसहमति है कि राज्य सरकारें जीएसटी के समर्थन में हैं. काफी काम पहले ही पूरा हो चुका है.’ उन्होंने कहा कि सरकार संसद के मौजूदा बजट सत्र में जीएसटी पर संविधान संशोधन विधेयक को परित कराने के लिए आगे बढेगी.
उन्होंने कहा ‘अगले कुछ दिनों में मैं इस (जीएसटी विधेयक पर बहस कराने के) संबंध में लोकसभा में नोटिस दूंगा.’ इस विधेयक को गत दिसंबर में लोकसभा में पेश किया गया था. केंद्र जीएसटी को लेकर सभी राज्यों की चिंताओं दूर करने की दिशा में काम कर रही है ताकि इसको समय से लागू किया जा सके.
केंद्र और राज्य एक नये राजस्व निरपेक्ष दर (आरएनआर) पर भी काम कर रहे हैं जो फिलहाल 27 प्रतिशत प्रस्तावित है. आरएनआर एक ऐसी दर है जिस पर राज्यों को मौजूदा वैट या बिक्री कर की जगह जीएसटी लागू करने से राजस्व का कोई नफा-नुकसान नहीं होगा.
आरएनआर का पुर्नाकलन आवश्यक है क्योंकि फिलहाल इसमें पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाला कर और राज्यों को एक प्रतिशत का अतिरिक्त जीएसटी लगाने की छूट को शामिल नहीं किया गया. जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि जीएसटी प्रणाली लागू होने से भारत के सकल घरेलू उत्पाद में एक-दो प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है.
जीएसटी केंद्रीय उत्पाद, राज्य के मूल्यवर्धित कर, मनोरंजन कर, चुंगी, प्रवेश शुल्क, विलासिता कर और वस्तु एवं सेवा पर खरीद कर की जगह लेगा. इससे वस्तुओं और सेवाओं का एक राज्य से दूसरे राज्य में हस्तांतरण सहज होगा तथा इंस्पेक्टर राज खत्म होगा और कर पर कर के भार लागये जाने की मौजूदा व्यवस्थागत बुराई दूर होगी.