हर प्रकार के बाहरी झटकों को झेलने में सक्षम है भारत : मूडीज

नयी दिल्ली : साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र की उभरती अर्थव्यवस्थाएं वाह्य झटकों से बचने में काफी हद तक समर्थ हैं लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढाने से उन्हें चुनौतियों का सामना करना पडेगा. मूडीज ने कहा ‘इस क्षेत्र में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2015 12:59 PM

नयी दिल्ली : साख निर्धारण एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि भारत समेत एशिया प्रशांत क्षेत्र की उभरती अर्थव्यवस्थाएं वाह्य झटकों से बचने में काफी हद तक समर्थ हैं लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें बढाने से उन्हें चुनौतियों का सामना करना पडेगा. मूडीज ने कहा ‘इस क्षेत्र में उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक चुनौती उभरेगी जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढाना शुरू करेगा.’

मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कहा ‘एशिया प्रशांत के देशों में आम तौर पर वाह्य भुगतान स्थिति अच्छी है और सरकारी ऋण की स्थिति भी विश्व के अन्य क्षेत्रों के देशों के मुकाबले बेहतर है.’ एजेंसी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में वाह्य झटकों से बचने का सामर्थ्य अपेक्षाकृत अधिक है लेकिन उनका रेटिंग परिदृश्य अलग-अलग है क्योंकि कुछ महत्वाकांक्षी सुधार की ओर अग्रसर हैं जबकि अन्य लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

उन्होंने कहा ‘साख की गुणवत्ता के लिए प्रमुख जोखिम यह है कि सरकार नीतिगत प्रतिबद्धताओं पर खरी उतरती है या नहीं.’ मूडीज ने भारत को सकारात्मक परिदृश्य के साथ ‘बीएए3’ की रेटिंग प्रदान की है. अनुमान है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जून या सितंबर तक ब्याज दरें बढाएगा, यह ऐसी पहल है जिससे भारत समेत उभरते बाजारों से पूंजी की निकासी होगी. एजेंसी ने कहा किक एशिया प्रशांत के ज्यादातर देश पेट्रोलियम आयातक हैं और हाल में कच्चे तेल में हालिया नरमी को इस क्षेत्र में सकारात्मक असर होगा.

मूडीज ने कहा ‘ऊर्जा लागत में बचत से विभिन्न देशों को अपने बजट घाटे पर नियंत्रण और राजकोषीय बफर तैयार करने में मदद मिलेगी.’ चीन के संबंध में एजेंसी ने कहा कि घटती वृद्धि दर और वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी आने वाले दिनों में एशिया प्रशांत के प्रदर्शन को प्रभावित करेगी. मूडीज ने कहा ‘इस क्षेत्र के जिंस निर्यातक चीन की आर्थिक वृद्धि में नरमी के नये सामान्य स्तर को सबसे अधिक प्रभावित कर सकते हैं.’

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने अनुमान जताया है कि भारत 2015-16 में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ चीन का पीछे छोड देगा. ऐसा नीतिगत पहल, निवेश में बढोतरी और तेल की कीमतों में नरमी के कारण होगा. इस क्षेत्र की कई अर्थव्यवस्थाओं में परिवारिक ऋण का स्तर उंचा रहेगा लेकिन यह वित्तीय व्यवस्था की स्थिरता के लिए कोई बडा खतरा नहीं है. एजेंसी ने कहा ‘हालांकि ऐसे ऋण से निजी खपत में वृद्धि कम होगी जिससे आर्थिक विस्तार सीमित हो सकता है.’

खुदरा ऋण के बडे हिस्सों पर परिवर्ती दर लागू होती है इसलिए उपभोक्ता सीधे तौर पर वैश्विक ऋण की बढती लागत के प्रति संवेदनशील हो जाएंगे जिससे परिवारों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढेगा. एशिया-प्रशांत के जिन देशों को मूडीज रेटिंग प्रदान करती है उनमें भारत (बीएए3), कोरिया (एए3), मलेशिया (ए3), और पाकिस्तान (सीएए1) को सकारात्मक रेटिंग परिदृश्य प्रदान किया है जबकि मंगोलिया (बी2) का परिदृश्य नकारात्मक है.

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