नयी दिल्ली: सरकार 40,000 करोड रुपये की कर मांग से जूझ रहे विदेशी संस्थागत निवेशकों के फायदे के लिये न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) के नियमों में स्पष्टीकरण संबंधी कुछ संशोधनों पर विचार कर रही है.वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने आज यहां जलवायु परिवर्तन पर आयोजित एक सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा ‘‘सरकार मैट नियमों में स्पष्टीकरण संबंधी कुछ संशोधनों पर विचार कर रही है.’’
सिन्हा ने कल यहां विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. सरकार की ओर से इन एफआईआई पर 40,000 करोड रुपए की कर मांग का दबाव है. उनका कहना था कि एफआईआई को मामले में राहत पाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए. सरकार ने हालांकि, यह स्पष्ट किया है कि मैट की यह कर मांग उन देशों की एफआईआई इकाइयों पर लागू नहीं होगी जिनके साथ भारत की दोहरे कराधान के बचाव से जुडी संधी (डीटीएए) है.
भारत के साथ डीटीएए वाले देशों के निवेशकों के मामले में कार मांग के मामले में संधि का फायदा मिलेगा.राजस्व विभाग ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को कर मांग का नोटिस भेजा है जिसमें 31 मार्च 2015 तक अर्जित पूंजी लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से मैट मांगा गया है.
डीटीएए के तहत आने वाले देशों को छोडकर सभी अन्य विदेशी निवेशकों के पास अब पिछले तीन साल में अर्जित पूंजी लाभ पर 20 प्रतिशत मैट को चुनौती देने का ही रास्ता बचा है.
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