नयी दिल्ली : केंद्र सरकार फाइनेंस बिल में एक नया प्रावधान कर आम लोगों की जेब काअने की तैयारी में है. छोटी-मोटी नौकरी करने वाले लोगों के पास भविष्य निधि (पीएफ) ही एक ऐसी रकम होती है जिसका उपयोग वह रिटायरमेंट के बाद करता है. एक छोटी नौकरी वाले आदमी की सैलरी से काफी कम राशि उसके पीएफ खाते में जमा हो पाता है.
अब सरकार की नजर उस राशि पर भी है. मोदी सरकार एक ओर विदेशी कंपनियों को टैक्स में छूट प्रदान कर भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर रही है. वहीं आम भारतीयों पर ही टैक्स का बोझ डालने की जुगाड़ कर रही है. सरकार ने अपने बजट में 2.5 लाख सालाना कमाने वाले लोगों को कर के दायरे से बाहर तो जरुरी रखा है, लेकिन 30 हजार रुपये सालाना बचत (पीएफ के रूप में) करने वालों पर टैक्स लगाने की बात कर रही है.
अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी खबर के अनुसार 1 जून से जिस भी कर्मचारी की सेवानिवृति बचत साल में 30 हजार से ज्यादा है, अगर वह पांच साल पूरा होने से पहले अपनी राशि निकलवाता है, तो उस पर 10.3 फीसदी टैक्स या अधिकतम 30.6 मार्जिनल रेट का भुगतान करना होगा.
फाइनेंस बिल के नये सेक्शन 192ए के अनुसार, जिन कर्मचारियों के पास करदाताओं की पहचान के लिए बना पैन कार्ड नहीं है, उनके प्रविडेंट फंड से टैक्स अधिकतम दर से काटा जाएगा. इतना ही नहीं अधिक बचत और इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले कर्मचारियों को भी अपने वे रिटर्न दोबारा फाइल करने होंगे जहां उन्होंने ईपीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए क्लेम किया था.
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