भारत मे और कम होनी चाहिए ब्याज दरें : जयंत सिन्हा
कोलकाता : वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने आज कहा कि देश में कर्ज और सस्ता होना चाहिए और उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बात पर जरुर गौर करेगा. उन्होंने कहा कि यदि लोग ज्यादा कर्ज लेंगे तो खरीदारी बढेगी और उससे आर्थिक वृद्धि दर को बढावा मिलेगा. सिन्हा ने यहां भारत चैम्बर ऑफ […]
कोलकाता : वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने आज कहा कि देश में कर्ज और सस्ता होना चाहिए और उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बात पर जरुर गौर करेगा. उन्होंने कहा कि यदि लोग ज्यादा कर्ज लेंगे तो खरीदारी बढेगी और उससे आर्थिक वृद्धि दर को बढावा मिलेगा. सिन्हा ने यहां भारत चैम्बर ऑफ कामर्स की ओर से आयोजित एक परिचर्चा में संवाददाताओं से अलग से बातचीत में कहा, ‘ब्याज दरें और कम होनी चाहिए ताकि ज्यादा लिया जा सके और उससे चीजों की खरीदारी बढे. रिजर्व बैंक को इस पहलू पर ध्यान देना चाहिए.’ उनसे पूछा गया था कि क्या रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज और घटानी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक बहुत पेशेवर संगठन और आंकडों को देख कर चलता है. वह कोई निर्णय करने से पहले तथ्यों को देखेगा. इस लिए देखें कि आंकडे क्या कहने वाले हैं. साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया अटकी पडी परियोजनाओं के लिए ब्याज दर में कटौती कोई अनिवार्य शर्त नहीं है.उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी ऋण (बांड) के प्रबंध का काम रिजर्व बैंक से हटाने के प्रस्ताव का केंद्रीय बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों के ओर से काफी विरोध है.
उन्होंने यह भी कहा कि ‘दुनिया भर में सरकारी ऋणों का प्रबंध देशों के केंद्रीय बैंक के कार्य क्षेत्र के बाहर ही रखा गया है. लेकिन (भारत में) यह काम रिजर्व बैंक बखूबी करता आ रहा है. जब आप अच्छा काम कर रहे हैं तो इस तरह के विरोध की उम्मीद की जा सकती है. रिजर्व बैंक के गवर्नर को भी लोक ऋण प्रबंध के लिए अलग कार्यालय बनाने के बारे में कुछ आपत्तियां हैं.’
सरकारी बैंकों के विषय में उन्होंने कहा कि वित्त विधेयक 2015 में सार्वजनिक बैंकों अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेश के पदों पर निजी क्षेत्र के बैंकों के अनुभवी लोगों की नियुक्तियों की छूट का प्रावधान है और उन्हें बाजार के हिसाब से वेतन दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों के लिए एक निवेश कंपनी बनायी जाएगी जो उसके पास ही इन बैंकों में सरकार के शेयर होंगे. सिन्हा ने कहा कि इसके अलावा एक बैंकिंग ब्यूरो का गठन कर वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के कुछ अधिकार खत्म किये जाएंगे. यह ब्यूरो सरकारी बैंकों की नियुक्ति, रणनीति और पूंजीकरण का काम देखेगा.
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