नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश के सेवा क्षेत्र को अपनी अंतर्निहित संभावनाओं का लाभ उठा कर विश्वस्तर पर अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता और बढाने का आह्वान किया है. उन्होंने यह भी कहा कि नयी प्रौद्योगिकी की वजह से आज अलग-अलग क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की अलग-अलग सीमा का कोई अर्थ नहीं रह गया है.
राजधानी में आयोजित सेवा क्षेत्र की वैश्विक प्रदर्शनी (जीइएस) के समापन समारोह को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने आज कहा कि सेवा क्षेत्र देश की प्रमुख ताकत है और देश में वैश्विक स्तर पर सस्ती सेवाएं प्रदान करने की क्षमता है.उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रौद्योगिकी अधिक बडी भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे बडी खुदरा कंपनी के पास अपना एक भी स्टोर नहीं है, और विश्व की बडी ट्रांसपोर्ट कंपनी के पास अपना कोई वाहन नहीं है.
एक अन्य उदाहरण देते हुए जेटली ने कहा, ‘‘मैं आइपैड या स्मार्टफोन पर दुनियाभर के अखबार पढ सकता हूं. इसमें या मेरे अखबार की प्रति ले कर पढने में क्या फर्क है. मुझे विदेशी चुनौतियां दिख रही हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों में एफडीआइ की सीमा का कोई मतलब नहीं है.’’
देश में कई क्षेत्रों में हालांकि 100 प्रतिशत एफडीआइ (विदेशी भागीदारी) की अनुमति है. वहीं बीमा, मीडिया और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में विदेशी भागीदारी की कुछ सीमाएं तय हैं. उन्होंने कहा कि कानूनी सेवाओं में विदेशी निवेश की अनुमति नहीं है, लेकिन कई वकील दूसरे देशों के वकीलों को सलाह देते हैं. वित्त मंत्री ने उद्योग से ऐसी सेवाओं की पहचान करने को कहा, जो महंगी हैं, जिससे उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कदम उठाए जा सकें.
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