तेल अवीव : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने राज्य में ‘इंडो-इस्राइल इंडस्टरीयल पार्क’ स्थापित करने की पेशकश की है. उनका कहना है कि इस सहयोग से द्विपक्षीय संबंधों को ‘नये स्तर पर ले जाने’ में मदद मिलेगी. इसके अलावा जन समुदाय के लिए एक बेहतरीन व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में भी मदद मिलेगी.
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘इस्राइल के पास तकनीक, बुद्धि कौशल है, उसके पास नवोन्मेष है और भारत उनसे सहयोग का आग्रह करता है. यदि इस्राइली तकनीक और भारत का कौशल मिल जाएं तो मुझे लगता है कि इससे न केवल कारोबारी वर्गों के लिए बल्कि बडे पैमाने पर जन समुदाय के लिए एक बेहतरीन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा.’ फडणवीस ने कहा, ‘कृषि, आईसीटी और रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में बहुत ज्यादा गुंजाइश है.’
तेल अवीव यूनिवर्सिटी में कल ‘मेक इन महाराष्ट्र’ के लिए भारत-इस्राइल सहयोग पर आयोजित विचार गोष्ठी के दौरान अपने भाषण में उन्होंने महाराष्ट्र को ‘भारत का पावर हाउस’ बताया. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें अपने संबंधों को नये स्तर पर पहुंचाना होगा और इसके लिए यही सही समय है. मेरा मानना है कि हम इस सहयोग को आगे बढा सकते हैं इसलिए मैं आप सभी को भारत आमंत्रित करता हूं. मुझे उम्मीद है कि आज का दिन भारत-इस्राइल संबंधों में नया अध्याय खोलेगा.’
उन्होंने कहा, ‘कई उत्कृष्ट केंद्रों के जरिए राज्य में कृषि के क्षेत्र में इस्राइल-महाराष्ट्र सहयोग पहले से ही हो रहा है.’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने राज्य में रक्षा के क्षेत्र में भी निवेश का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस्राइल भारत में रक्षा उपकरणों का दूसरा सबसे बडा आपूर्तिकर्ता देश है. इसलिए मुझे लगता है कि यह न केवल आपूर्ति करने का समय है बल्कि यह भारत में खासकर महाराष्ट्र में विनिर्माण करने का भी समय है.’
महाराष्ट्र ने पहले ही पुणे के पास ‘इंडो-जापानी इंडस्टरीयल पार्क’ तैयार करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री आज से शुरू हो रहे तीन दिवसीय 19वें अंतरराष्ट्रीय कृषि तकनीक प्रदर्शनी ‘एग्रीटेक इस्राइल 2015’ में भी हिस्सा लेंगे. युवा नेता अपनी यात्रा के दौरान इस्राइल एयरोस्पेस इंडस्टरीज के अधिकारियों से भी मिलने वाले हैं और वह उनसे अपने उत्पाद को और अधिक किफायती बनाने के लिए महाराष्ट्र में कुछ विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने की अपील करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र मानव संसाधन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. कई देशों में विनिर्माण ऐसी गतिविधि नहीं है जहां लोग इसमें ज्यादा निवेश करना चाहते हैं क्योंकि यह वहन योग्य नहीं है. लेकिन भारत के महाराष्ट्र में यह न केवल वहनीय है बल्कि यहां क्षमतावान मानव कौशल की भी भरमार है.’
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