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दूरसंचार कंपनियों ने whatsapp और skype जैसे एप्प के लिए लाइसेंस प्रणाली का प्रस्‍ताव लाया

नयी दिल्ली : दूरसंचार कंपनियों ने व्हाट्सएप्प व स्काइप जैसी ओवर द टॉप (ओटीटी) कंपनियों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली बनाने का सुझाव दिया है जबकि प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता व व्यक्तियों ने इंटरनेट तक समान पहुंच की वकालत की है. उल्लेखनीय है कि दूरसंचार नियामक ट्राई इस समय नेट निरपेक्षता पर नियम बनाने की प्रक्रिया में […]

नयी दिल्ली : दूरसंचार कंपनियों ने व्हाट्सएप्प व स्काइप जैसी ओवर द टॉप (ओटीटी) कंपनियों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली बनाने का सुझाव दिया है जबकि प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता व व्यक्तियों ने इंटरनेट तक समान पहुंच की वकालत की है. उल्लेखनीय है कि दूरसंचार नियामक ट्राई इस समय नेट निरपेक्षता पर नियम बनाने की प्रक्रिया में है. नेट निरपेक्षता को लेकर हाल ही में संसद व संसद के बाहर खूब बहस हुई है.

ट्राई को इस मुद्दे पर व्यक्तियों, सेवा प्रदाताओं व उनके संगठनों सहित अन्य लोगों से लगभग 10 लाख टिप्पणियां मिली हैं. ट्राई ने अपने परामर्श पत्र पर मिली सारी टिप्पणियों को आज सार्वजनिक कर दिया है. इसके अनुसार ‘समान व मुक्त इंटरनेट’ के लिए समर्थन मुख्य रूप से व्यक्तिगत स्तर पर किया गया है. ट्राई ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने वालों के नाम व ईमेल आईडी सार्वजनिक कर दिये. इसको लेकर सोशल मीडिया पर उसकी खूब खिंचाई हुई.

अधिक इस्तेमाल के कारण ट्राई की वेबसाइट भी ठप हो गई. ट्राई के सचिव सुधीर गुप्ता ने कहा कि वेबसाइट का प्रबंधन करने वाले नेशनल इन्फोरमेटिक्स सेंटर से नेटवर्क की कुछ दिक्कत थी. हालांकि इस दौरान अज्ञात सी इकाई ने ट्राई की वेबसाइट हैक करने का दावा किया. वेबसाइट शाम को काम करने लगी लेकिन इसमें खुलने में दिक्कत हो रही थी. ट्राई ने नेट निरपेक्षता पर अपने परामर्श पत्र पर 24 अप्रैल तक टिप्पणियां मांगी थी. इस पर ‘प्रति टिप्पणियां’ आठ मई तक दी जा सकती हैं. इसके बाद ही खुली चर्चा होगी.

ट्राई द्वारा इस मुद्दे पर राय देने वालों के नाम व इमेल आइडी को सार्वजनिक किये जाने से निजता प्रभावित होने के सवाल पर गुप्ता ने कहा, ‘हमें जो भी मिला था उसे हमने वेबसाइट पर डाल दिया.’ ट्राई के परामर्श पत्र पर दूरसंचार कंपनियों ने कहा है कि व्हाट्सएप्प व स्काइप जैसी ओवर द टाप (ओटीटी) फर्में भी लाइसेंसशुदा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं की तरह ही हैं बस इतना ही फर्क है कि वे इन सेवाओं की पेशकश अपने नेटवर्क के बजाए इंटरनेट के जरिए करती हैं. इस पर टिप्पणी करने वालों में भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, रिलायंस जियो, रिलायंस कम्युनिकेशंस, सीओएआइ, नासकाम, आइएसपीएआइ, राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर भी शामिल हैं.

दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि उन्हें ओटीटी कंपनियों के साथ साझा समझौतों के आधार पर सेवाओं की पेशकश की अनुमति मिले. वोडाफोन इंडिया ने कहा है, ‘विशेषकर वीओआइपी टेलीफोनी सेवाओं के लिए उचित नियामकीय व वाणिज्यिक समाधान ढूंढे जाने की जरुरत है.’ वहीं नासकाम का मानना है कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून में इसके लिए पर्याप्त प्रावधान है और किसी तरह के अतिरिक्त नियमन की जरुरत नहीं है.

नासकाम ने कहा है, ‘इंटरनेट प्लेटफार्म व सेवा संचार के लिए लाइसेंसिंग की जरुरत नहीं है.’ एयरटेल का कहना है, ‘दूरसंचार सेवा प्रदाताओं पर अनेक नियामकीय व लाइसेंसिंग शर्तें लगती हैं जबकि ओटीटी संवाद सेवा प्रदाताओं पर ऐसी कोई जवाबदेही नहीं है.’ आइडिया के अनुसार, ‘समान सेवा, समान नियमन होने चाहिए. इंटरनेट सेवा प्रदाता संगठन (आइएसपीएआइ) ने भी समान सेवा समान नियम की मांग की है.

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