नयी दिल्ली : मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीइए) ने रिलायंस इंडस्टरीज व ओएनजीसी की करीब एक दर्जन विवादित प्राकृतिक गैस खोजों के विकास की नीति को आज मंजूरी दे दी. मौजूदा मूल्य के अनुसार इन गैस खोजों का मूल्य करीब एक लाख करोड रुपये है. इस नीति के तहत कंपनियों को या तो अपने जोखिम पर इन खोजों का विकास करने या फिर हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) द्वारा स्वीकृत परीक्षण प्रक्रिया को अपनाकर उनका विकास करने के बाद पूरी लागत निकालने की अनुमति होगी.
इससे करीब 90 अरब घन मीटर गैस खोज को इस्तेमाल में लाने मदद मिलेगी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इससे लंबे समय से पांच ब्लाकों में 12 गैस खोजों का मुद्दा हल हो गया है. इनमें से छह गैस खोजें ओएनजीसी की व छह रिलायंस इंडस्टरीज की हैं. बयान में कहा गया है कि इससे भविष्य के लिए भी एक स्पष्ट नीति स्थापित करने में मदद मिलेगी. इसमें कहा गया है कि इन 12 खोजों में करीब 90 अरब घनमीटर गैस का भंडार है.
मौजूदा 4.66 डालर प्रति इकाई या एमएमबीटीयू के गैस मूल्य पर यह करीब एक लाख करोड रुपये बैठेगा. इस नीति से निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता व समानता आएगी. पूर्व में मामला दर मामला आधार पर निर्णय लिये जाते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीइए की बैठक में कंपनियों को या तो ब्लाकों को छोडने या फिर ड्रिल स्टेम टेस्ट (डीएसटी) के बाद इन खोजों का विकास करने की अनुमति दी गयी है.
समय पर परीक्षण न करने के लिये जुर्माने के तौर पर डीएसटी की 50 फीसदी लागत वसूली की अनुमति नहीं होगी. डीएसटी के लिए लागत वसूली सीमा 1.5 करोड डालर तय की गई है. एक अन्य विकल्प के तौर पर कंपनियों को इन खोजों को बिना डीएसटी के अपनी लागत पर विकसित करने की अनुमति होगी. खोजों को विकसित करने पर आने वाले खर्च की तभी वसूली हो सकेगी जब इनमें वाणिज्यिक उत्पादन होगा.
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘यदि अनुबंधकर्ता कंपनी ने सीसीइए मंजूरी के 60 दिन के भीतर सुझाये गये इन दोनों में से कोई भी विकल्प नहीं अपनाया तो फिर जिन क्षेत्रों में ये खोज हुई हैं वह स्वत: ही कंपनियों के कब्जे से बाहर हो जायेंगे.’
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