नयी दिल्ली : कारपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पर खर्च से देश के सामाजिक क्षेत्र के लिए करीब 20,000 करोड रुपये की राशि उपलब्ध कराई जा सकती है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सीएसआर सम्मेलन-राष्ट्रीय एजेंडा में भागीदारी को संबोधित करते हुए हुए यह बात कही.
कंपनी कानून, 2013 के तहत एक निश्चित वर्ग की मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को अपने तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत प्रत्येक वित्त वर्ष में सीएसआर गतिविधियों के लिए खर्च करना अनिवार्य है. राष्ट्रपति ने कहा कि सीएसआर खर्च के जरिये सामाजिक क्षेत्र के लिए एक बडी राशि को बाजार में लाया जा सकता है.
मुखर्जी ने कहा, यह राशि 8,000 से 20,000 करोड रुपये के बीच हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने जोडा कि यह सुनिश्चित किया जाना जरुरी है कि इस तरह के कोष का इस्तेमाल अच्छे तरीके से हो.
राष्ट्रपति ने कहा कि सीएसआर की अवधारणा इस विचार पर आधारित है कि कंपनियों की जिम्मेदारी आपने शेयरधारकों के हितों के अलावा भी है.
सीएसआर के नियम कंपनी कानून का हिस्सा हैं और पिछले साल एक अप्रैल से लागू हुए हैं. कारपोरेट मामलों की सचिव अंजुली छिब दुग्गल ने संकेत दिया कि कानून में जिन गतिविधियों का उल्लेख है उनसे अलग गतिविधियों को भी सीएसआर का हिस्सा बनाया जा सकता है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.