24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरकार ने रिलायंस, ओएनजीसी के लिये गैस खोजने के नियमों को सरल किया

नयी दिल्ली : सरकार ने ओएनजीसी और रिलायंस की एक दर्जन विवादास्पद प्राकृतिक गैस खोजों को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करते हुये आज एक नीति को मंजूरी दी है जिसमें नियमों को सरल बनाया गया है. इन खोजों में करीब एक लाख करोड रुपये मूल्य का गैस भंडार है. सरकार ने जिस नयी नीति […]

नयी दिल्ली : सरकार ने ओएनजीसी और रिलायंस की एक दर्जन विवादास्पद प्राकृतिक गैस खोजों को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करते हुये आज एक नीति को मंजूरी दी है जिसमें नियमों को सरल बनाया गया है. इन खोजों में करीब एक लाख करोड रुपये मूल्य का गैस भंडार है.
सरकार ने जिस नयी नीति को मंजूरी दी है उसमें कंपनियों को दो विकल्प दिये गये हैं. एक विकल्प यह है कि कंपनियां खुद अपने जोखिम पर क्षेत्र को विकसित करें या फिर क्षेत्र के नियामक हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (डीजीएच) द्वारा निर्धारित परीक्षण प्रणाली को अपनाते हुये क्षेत्र का विकास करें ताकि पूरी लागत की वसूली हो सके.
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में लिये गये इस फैसले की जानकारी देते हुये आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, इससे लंबे समय से लटके पडे मुद्दे का निपटान होगा. यह मामला पांच ब्लॉक में की गई 12 खोजों से जुडा है. छह खोज सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) की हैं जबकि छह खोज निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्टरीज लिमिटेड से जुडी हैं.
इससे भविष्य के लिये भी इस तरह के मामले में एक स्पष्ट नीति स्थापित हो गई है. इसमें कहा गया है कि इन 12 खोजों में करीब 90 अरब घनमीटर गैस का भंडार है. जिसका दाम सकल कैलोरिफिक मूल्य (जीसीवी) के 4.66 डालर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमटीयू) के मुताबिक एक लाख करोड रुपये से अधिक बैठता है.
इस नीति से निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता आयेगी. इससे पहले ऐसे मामलों में एक-एक कर मामला दर मामला आधार पर निर्णय लिया जाता था. मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कंपनियों से कहा है कि या तो वह इन ब्लॉक को छोड दें या फिर ड्रिल स्टेम टेस्ट (डीएसटी) करने के बाद इन खोजों का विकास करें. हालांकि, उनको ऐसा करने पर डीएसटी की 50 प्रतिशत लागत को छोडना होगा. यह एक तरह से समय के भीतर परीक्षण नहीं करने के जुर्माने के तौर पर होगा.
डीएसटी परीक्षण के लिये लागत वसूली की अधिकतम सीमा 1.50 करोड डालर तय की गई है. दूसरे विकल्प के तौर पर कंपनियों को इन खोजों को सीमित दायरे में रहते हुये डीएसटी परीक्षण के बिना ही अपने जोखिम पर विकसित करना होगा. इस विकल्प के तहत क्षेत्रों को विकसित करने में आने वाले खर्च की वसूली की अनुमति तभी होगी जब क्षेत्र वाणिज्यिक तौर पर उत्पादन के योग्य होगा.
सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है, यदि क्षेत्र की अनुबंधकर्ता कंपनी इनमें से कोई भी विकल्प नहीं अपनाती है तो सीसीईए मंजूरी के 60 दिन के भीतर अपने आप ही वह क्षेत्र जहां ये खोज हैं, उनके कब्जे से छूट जायेगा. सरकार की इस नई नीति से रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपने कमजोर पडते केजी-डी6 क्षेख में तीन खोजों से उत्पादन शुरु करने में मदद मिलेगी.
रिलायंस ने क्षेत्र के 29, 30, 31 क्षेत्रों को 2007 में ही अधिसूचित कर दिया था और इन्हें वाणिज्यिक उपयोग वाला घोषित करने के लिये 2010 में औपचारिक तौर पर आवेदन कर दिया. यह काम उत्पादन भागीदारी अनुबंध में तय सीमा के भीतर किया गया लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय की तकनीकी इकाई डीजीएच ने इन्हें मान्यता देने से इनकार कर दिया. डीजीएच का कहना था कि इनके लिये निर्धारित परीक्षण प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. यही वजह पूर्वोत्तर तटीय ब्लॉक एनईसी-ओएसएन 97..1 के लिये बताई गई. ओएनजीसी के केजी-डी5 स्थिति डी, ई और यूडी-1 ब्लॉक की खोज को भी इसी वजह से डीजीएच ने मान्यता देने से इनकार कर दिया.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें