नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकारी अधिकारियों को निर्भय हो कर फैसले करने चाहिए और राजनीतिक झमेलों से दूर रहते हुए सरकार की नीतियों को समझ कर चलना चाहिए. उन्होंने कहा कि समय के साथ अर्थव्यवस्था और समाज ‘भारी’ बहुत बदल चुका है. अधिकारियों को निर्भय होना चहिए और उनमें केवल भेड चाल नहीं होनी चाहिए.
जेटली ने कहा, ‘उनकी (अधिकारियों) साख होनी चाहिए और उनके अंदर अपनी टीम को अपने साथ जोडे रखने की क्षमता होनी चाहिए. संसदीय लोकतंत्र में अधिकारी के अंदर इस बात की समझ होना जरुरी है कि सरकार की नीति क्या है और उसपर कैसे आगे बढा जाए. इसके साथ उसे राजनीतिक झमेले से अपने को दूर रखना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था और समाज में भारी बदलाव आया है और यह अधिकारियों का काम है कि वे बदलते समय के हिसाब से खुद को तैयार रखें. वित्त मंत्री ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था अब नियंत्रण वाली अर्थव्यवस्था नहीं रह गई है. आज दुनियाभर में बदलाव हो रहे हैं.
वैश्विक स्तर पर दुनिया तेजी से एकीकृत हो रही है और इसलिए अधिकारियों को चाहे वे सरकार की किसी भी शाखा में हो, खुद को समाज में इन बदलावों के हिसाब से तैयार रहने की जरुरत है.’ जेटली यहां इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे.
वित्त मंत्री ने कहा कि हो सकता है कि कोई अधिकारी यह सोचे कि उसके मंत्री को सस्ती लोकप्रियता वाला नहीं होना चाहिए, लेकिन उस अधिकारी को सरकारी कामकाज और भावनाओं के बीच उचित तालमेल बिठाना चहिए. उन्होंने कहा, ‘एक सफल अधिकारी को ईमानदारी के उच्चतम मानदंड से बंधा रहना चाहिए, उसे अपनी बात निडरता के साथ रखनी चाहिए, वह केवल एक ढर्रे से नहीं बंधा रह सकता. यदि उसकी सोंच अलग है तो वह सही हो सकती है. उसे अपनी बात जरुर रखनी चहिए और यह काम अनुशासित तरीके से किया जाना चहिए.’