नयी दिल्ली : कर विशेषज्ञों ने कहा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की विदेशी कंपनियों की कुछ आय पर मैट में छूट की घोषणा से विदेशी कंपनियों को राहत जरुर मिली है लेकिन सरकार को पिछले बकाये के लिये कर संधि लाभों के बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. संसद में वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी कंपनियों द्वारा प्रतिभूति की बिक्री के साथ-साथ रायल्टी, ब्याज, तकनीकी सेवा शुल्क से प्राप्त सभी पूंजीगत लाभ पर मैट (न्यूनतम वैकल्पिक कर) से छूट मिलेगी बशर्ते इस प्रकार की आय पर कर की सामान्य दर 18.5 प्रतिशत मैट की दर से कम हो.
इस पर टिप्पणी करते हुए पीडब्ल्यूसी पार्टनर (कर एवं नियामकीय सेवाएं) सुरेश स्वामी ने कहा, ‘वित्त मंत्री यह स्पष्ट कर सकते थे कि संधि (दोहरे कर से बचाव की संधि) के लाभ के तहत आने वाले एफपीआइ को पिछले वषों के मैट के भुगतान से छूट होगी. इससे विदेशी निवेशकों को और विश्वास बढता.’ उन्होंने कहा कि संभवत: पूर्व कर नोटिसों पर स्पष्टीकरण छह महीने बाद आएगा जब उच्चतम न्यायालय मारीशस स्थित कासटलेटोन इनवेस्टमें लिमिटेड पर निर्णय करेगा.
सुनील कपाडिया (व्यापार कर) ने कहा कि विदेशी निवेशक निश्चितता चाहते हैं और मंत्री से कर मामलों में स्पष्टता चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘स्पष्टीकरण से यह पता नहीं चलता कि पिछली अवधि के करारोपण मामले का क्या हुआ. यह विवादास्पद क्षेत्र बना हुआ है.’ विदेशी निवेशकों तथा सरकार के बीच पिछले साल यह मामला उस समय आया जब कर विभाग ने मैट के लिये एफआइआइ (विदेशी संस्थागत निवेशक) को नोटस भेजना शुरू किया. ये नोटिस आथोरिटी आफ एडवांस रुलिंग के निर्णय पर आधारित है. निर्णय में कैसलेटोन को मुनाफे पर मैट देने का निर्देश दिया गया है. अबतक सरकार ने 68 विदेशी निवेशकों को 602 करोड रुपये से अधिक का मैट नोटिस भेजा है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.