जीएसपीसीबी ने अलग तरह की आवाजें निकालने वाले हॉर्न को हटाने का दिया निर्देश
पणजी : पर्यावरण मंत्रालय ने गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (जीएसपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्य में 30 दिनों के अंदर सभी वाहनों से अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने वाले हॉर्न को हटा लिया जाए. केंद्रीय वाहन कानून एवं पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 का हवाला देते हुए एक आदेश पत्र के […]
पणजी : पर्यावरण मंत्रालय ने गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (जीएसपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि राज्य में 30 दिनों के अंदर सभी वाहनों से अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने वाले हॉर्न को हटा लिया जाए. केंद्रीय वाहन कानून एवं पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 का हवाला देते हुए एक आदेश पत्र के जरिए यह निर्देश दिया गया, जिसमें यह कहा गया कि यह कानून वाहनों में इस तरह के हॉर्न के इस्तेमाल की अनुमति नहीं देता.
जीएसपीसीबी के अध्यक्ष जोस मैनुएल नोरोन्हा ने कहा, ‘हमें यह आदेश पत्र मिला है और अब हमें राज्य परिवहन विभाग के साथ मिलकर इस पर काम करना है.’ मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक परिवहन बसें मुंबई स्थित बीइएसटी सेवाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हॉर्न की तर्ज पर ‘एयर हॉर्न’ का इस्तेमाल कर सकती हैं.
गोवा के पश्चिमी प्रांत की सडकों पर करीब 10.83 लाख वाहन चलते हैं और एक मोटे अनुमान में यह खुलासा हुआ है कि इनमें 40 प्रतिशत वाहनों में अलग-अलग तरह की आवाजें निकालने वाले हॉर्न लगे हैं. नोरोन्हा ने कहा कि इसके कारण ध्वनि प्रदूषण होता है. एमओइएफ का यह निर्देश पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में हाल में हुए संशोधन के मद्देनजर आया है जिसमें यह जरुरी कर दिया गया है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस तरह के उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार है.
बोर्ड ने राज्य परिवहन विभाग को दबाव वाले हॉर्न और अलग-अलग आवाजें निकालने वाले हॉर्न के इस्तेमाल पर प्रतिबंध एवं इनके उत्पादन पर रोक का निर्देश जारी करते हुए कहा है कि इसमें विफल रहने पर ऑटोमोबाइल निर्माण कंपनी पर वायु अधिनियम एवं पर्यावरण (संरक्षण) नियमों के तहत जरुरी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनियों को खडे हुए स्थिर वाहनों पर 30 दिनों के अंदर परीक्षण करने को कहा गया है. इस पर रिपोर्ट प्रदूषण प्राधिकरण में पेश किया जाना है.
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