नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने इस समय डालर बचाने की जरुरत के मद्देनजर ईरान से कच्चे तेल का आयात बढ़ाने पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई है. ईरान को इस समय भुगतान रपए में किया जा रहा है.
बैठक में ईरान से तेल आयात बढ़ाने तथा स्टाक प्रबंधन पर भी विचार होगा. भारत ने 2012-13 में कुल 144.3 अरब डालर का तेल आयात किया. चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह में ही भारत कच्चे तेल के आयात पर 47.13 अरब डालर की राशि खर्च कर चुका है. सूत्रों ने बताया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को कच्चे तेल का आयात 2012-13 के स्तर 10.59 करोड़ टन पर रखने को कह सकती है, जिससे 1.76 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की बचत होगी. इसके अलावा सरकार मौजूदा 7 से 14 दिन की अवधि के बजाय सिर्फ दो-तीन दिन का कच्चे तेल का भंडार रखने को कह सकती है, जिससे पेट्रोलियम कंपनियां की भंडार के रखरखाव में लगी लाखों डालर की राशि मुक्त हो सकेगी. बैठक के एजेंडा में ईरान से कच्चे तेल का आयात बढ़ाना भी है. पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली का मानना है कि शेष बचे वित्त वर्ष में ईरान से 1.1 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात कर 8.47 अरब डालर की विदेशी मुद्रा बचाई जा सकती है
भारत ने पिछले वित्त वर्ष में ईरान से 1.31 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया था. देश ईरान को जुलाई 2011 से 55 प्रतिशत भुगतान तुर्की के हल्कबैंक के जरिए यूरो में कर रहा था. बाकी 45 प्रतिशत राशि ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी के भारत में खोले गए खाते में रपए में जमा किया जाता है. यह खाता कोलकाता के यूको बैंक में खोला गया है. यूरो में भुगतान गत छह फरवरी से बंद हो गया है और सारा भुगतान रपए में किया जा रहा है.
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