परिचालन लागत को पूरा नहीं कर पाने से रेलवे को 11,000 करोड़ का घाटा : कैग
नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रपट के अनुसार रेलवे बीते पांच साल से यात्री सेवाओं की परिचालन लागत पूरा नहीं कर पा रही है और इस दौरान उसे लगभग 11,000 करोड रुपये का घाटा हुआ है. कैग ने अपनी नवीनतम रपट में यह निष्कर्ष निकाला है. यह रपट आज संसद […]
नयी दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रपट के अनुसार रेलवे बीते पांच साल से यात्री सेवाओं की परिचालन लागत पूरा नहीं कर पा रही है और इस दौरान उसे लगभग 11,000 करोड रुपये का घाटा हुआ है. कैग ने अपनी नवीनतम रपट में यह निष्कर्ष निकाला है. यह रपट आज संसद में पेश की गई. इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के इस उपक्रम ने एसी 3 को छोडकर सभी यात्री श्रेणियों की सेवाओं में नुकसान उठाया है.
इसके अनुसार यात्री सेवाओं की परिचालन लागत से होने वाला घाटा 2008-09 में 15,268.41 करोड रुपये था जो 2012-13 में 26,025.46 करोड रुपये हो गया. रपट में कहा गया है कि रेलवे यात्री सेवाओं की परिचालन लागत को पूरा करने में विफल रही है. रेलवे की यात्री सेवाओं की परिचालन लागत 31 मार्च 2013 तक पांच साल में 46.12 प्रतिशत बढी.
इस दौरान इस मद में खर्च 55.31 प्रतिशत बढा. कैग का कहना है कि 2012-13 के दौरान रेलवे को यात्री व अन्य कोचिंग सेवाओं के मद में 26,025.46 करोड रुपये का घाटा हुआ. हालांकि इसी दौरान माल ढुलाई सेवाओं ने 33,221.24 करोड रुपये का मुनाफा कमाया जिससे यात्री सेवा परिचालन मद के 26,025946 करोड रुपये के घाटे की कुछ भरपाई करने में मदद मिली. इसके अनुसार 2012-13 में एसी 3 टीयर के अलाव सभी अन्य यात्री सेवा श्रेणियों में घाटा हुआ.
मालढुलाई पर ध्यान नहीं देने से रेलवे को 29,236.77 करोड रुपये का घाटा
लौह अयस्क की बुकिंग में नियमों का अनुपालन नहीं करने की वजह से 29,000 करोड रुपये की मालभाडा आमदनी का नुकसान हुआ. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की शुक्रवार को सदन में पेश रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है. कैग की रपट में कहा गया है कि लौह अयस्क की ढुलाई घरेलू दरों पर हुई लेकिन इसका इस्तेमाल घरेलू उद्देश्य के लिए नहीं हुआ और इसे तीसरे पक्ष या निर्यात के लिए स्थानांतरित किया गया.
इससे रेलवे को नुकसान उठाना पडा. कैग की रपट में घरेलू दरों पर लौह अयस्क की बुकिंग व आपूर्ति के लिए तय नियम व प्रक्रियाओं के अनुपालन में खामियों का उल्लेख किया गया है. कैग ने कहा कि संबंधित रेल अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इससे मई, 2008 से सितंबर, 2013 के दौरान रेलवे को 29,236.77 करोड रुपये की मालढुलाई आमदनी का नुकसान हुआ.
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