नयी दिल्ली : रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि मानसून की विफलता और वैश्विक वित्तीय उतार-चढाव इस साल भारत की वृद्धि के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा कर सकता है लेकिन सुधार के कारण कारोबार माहौल में सुधार के कारण अगले 18-24 महीने में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर औसतन 7.5 प्रतिशत रहेगी.
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने एक रपट में कहा कि भारत में वृद्धि की स्थिति में नरमी से वैश्विक और घरेलू दोनों तत्व जाहिर होते हैं जिसमें घरेलू स्तर पर ऋण की स्थिति में नरमी, स्थानीय मांग में कमी और अनिश्चित वैश्विक वृद्धि शामिल है.
रपट में कहा गया ‘भारत के ढांचागत सुधार की कोशिश से निकट भविष्य के बजाय मध्यम अवधि में घरेलू निवेश और प्रतिस्पर्धात्मकता बहाल होगी लेकिन उक्त कारणों से अगली दो तिमाहियों में भारत में आर्थिक सुधार की रफ्तार सीमित होगी जबकि मानसून तथा वैश्विक वित्तीय उतार-चढाव की संभावना इस साल वृद्धि के लिए अतिरिक्त जोखिम है.’
आम तौर माना जा रहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जून या सितंबर तक ब्याज दर बढाएगा और इससे भारत समेत उभरते बाजारों से पूंजी की निकासी होगी जिससे वित्तीय उतार-चढाव की स्थिति पैदा होगी. आधिकारिक भविष्यवाणी के मुताबिक इस साल लगातार दूसरे वर्ष मानसून सामान्य से कम, 93 प्रतिशत रहने का अनुमान है क्योंकि पश्चिमोत्तर और मध्य भारत के हिस्से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं.
मूडीज ने कहा ‘अगले 18-24 माह में भारत की वृद्धि औसतन करीब 7.5 प्रतिशत रह सकती है जो इतनी ही रेटिंग प्राप्त अपने समकक्ष देशों वृद्धि के अनुमान के मुकाबले अधिक है.’ अमेरिका साखा निर्धारण एजेंसी मूडीज ने भारत की ‘बीएए3’ रेटिंग के लिए सकारात्मक परिदृश्य जाहिर किया है.
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