रिजर्व बैंक जल्द कर सकता है नीतिगत दर में कटौती : विशेषज्ञ

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक दो जून को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में अथवा उससे पहले नीतिगत दर में कटौती कर सकता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में चार माह में सबसे नीचे रहने और मार्च में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर नरम पडने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक यह कदम उठा सकता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2015 10:49 AM

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक दो जून को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में अथवा उससे पहले नीतिगत दर में कटौती कर सकता है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में चार माह में सबसे नीचे रहने और मार्च में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर नरम पडने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक यह कदम उठा सकता है. विशेषज्ञों का ऐसा मानना है.

विश्लेषकों के अनुसार मुद्रास्फीति में नरमी तथा उम्मीद से ज्यादा धीमी वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि नीतिगत दर में कटौती जल्द हो सकती है. दो जून या उससे पहले नीतिगत दर में कटौती की संभावना तो है लेकिन उसके बाद नीतिगत दरों में अतिरिक्त कटौती सरकार द्वारा ढांचागत सुधारों पर निर्भर करेगी.

खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर चार महीने के न्यूनतम स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गयी जबकि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर मार्च में कम होकर 2.1 प्रतिशत रह गई. एसबीआइ ने एक अनुसंधान रिपोर्ट में कहा, ‘हम दो जून या उससे पहले रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं.’

विशेषज्ञों के अनुसार नीतिगत दर में कटौती के बारे में निर्णय अब वृद्धि को ध्यान में रखते हुये हो सकता है क्योंकि मुद्रास्फीति की गति नरम बनी रह सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, ‘हम इसको लेकर आश्वस्त हैं कि खुदरा मुद्रास्फीति नरम रहेगी जिसका कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रय शक्ति का सुस्त पडना है.

अगर मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से नीचे रहती है तो नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की अतिरिक्त कटौती की संभावना है.’ इसी प्रकार, सिटी ग्रुप ने शोध रिपोर्ट में कहा है, ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगर औसतन 5 प्रतिशत रहती है. हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर नीतिगत दर को सामान्य करेगा.’

जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने भी कहा कि रिजर्व बैंक जून में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है. रिजर्व बैंक दो जून को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने वाला है.

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