मुंबई : सोने की वैश्विक मांग इस साल पहली तिमाही में सात प्रतिशत घटकर 42 अरब डालर रही. विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर चीन, तुर्की, रुस और पश्चिम एशिया में गिरावट के कारण हुआ. डब्ल्यूजीसी की रपट के मुताबिक सोने की मांग 2014 की पहली तिमाही के दौरान 45 अरब डालर रही.
मात्रा के लिहाज से सोने की कुल मांग पहली तिमाही में एक प्रतिशत घटकर 1,079 टन रही जो पिछले साल की इसी तिमाही में 1,089.9 टन थी.सोने की कुल मांग में जेवरात की प्रमुख भूमिका होती है जिसकी मांग इस साल पहली तिमाही में तीन प्रतिशत घटकर 601 टन रही जो पिछले साल की इसी तिमाही में 620 टन थी.
वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में निवेश मांग का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है जो पहली तिमाही के दौरान चार प्रतिशत बढकर 279 टन रही जो 2014 की पहली तिमाही में 268 टन था. रपट में कहा गया कि सोने में निवेशकों का रुझान वापस लौटने के कारण सोने से जुडे एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में कुल प्रवाह 26 टन रहा जो 2012 की चौथी तिमाही के बाद से पहली बार सकारात्मक दायरे में आया.
शेयर बाजारों विशेष तौर पर भारत और चीन में तेजी तथा तुर्की एवं जापान में मुद्रा में उतार-चढाव के कारण सोने की छडों तथा सिक्कों पर दबाव रहा. हालांकि इसकी भरपाई यूरो क्षेत्र और विशेष तौर पर जर्मनी और स्विट्जरलैंड में खुदरा निवेशकों की मजबूत मांग से हुई.
भारत में सकारात्मक रुझान के बीच पहली तिमाही में सोने की मांग 15 प्रतिशत बढी
भारत में सोने की मांग जनवरी से मार्च की तिमाही के दौरान 15 प्रतिशत बढकर 191.7 टन रही. डब्ल्यूजीसी के मुताबिक ऐसा मुख्य तौर पर सकारात्मक रुझान और अनुकूल नीतिगत बदलाव के कारण हुआ. डब्ल्यूजीसी ने ‘2015 की पहली तिमाही में सोने की मांग के रुझान’ पर रपट में कहा कि पिछले साल की इसी तिमाही में सोने की कुल मांग 167.1 टन थी.
मूल्य के लिहाज से भारत की पहली तिमाही 2015 के दौरान सोने की मांग नौ प्रतिशत बढकर 46,730.6 करोड रुपये हो गई जो 2014 की पहली तिमाही के दौरान 42,898.6 करोड रुपये थी. डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारतीय कारोबार) सोमसुंदरम पीआर ने यहां कहा ‘भारत में सोने की मांग 2015 की पहली तिमाही के दौरान 15 प्रतिशत अधिक रही हालांकि यह पांच प्रतिशत के औसत से अभी भी कम है.
इससे पिछले साल की इसी अवधि में सोने की मांग कम रहने के कारण का संकेत मिलता है जो सख्त सोना आयात नीति, कमजोर आर्थिक रुझान और आम चुनाव के दौरान व्यापार अनिश्चितता के कारण हुआ.’ उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान बढाने, सरकार की सोने को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने की कोशिश, देश में बचत परिसंपत्ति के तौर पर सोने से प्रेम और जेवरात व्यापार के आधुनिकीकरण से इस साल सोने का रुझान सकारात्मक होगा. उन्होंने कहा ‘इस साल की शुरुआत में बेमौसम बारिश से गा्रमीण अर्थव्यवस्था पर असर होने के बावजूद हमें उम्मीद है कि इस साल मांग 900-1,000 टन रहेगी.’
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