नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि विवादास्पद नया आयकर रिटर्न फार्म (आइटीआर) और ‘अधिक सरल रूप’ में आएगा, लेकिन उन्होंने इस फार्म में सभी बैंक खातों और विदेशी यात्राओं का विवरण देने की आवश्यकता को बरकरार रखने अथवा हटाने के बारे में संदेह बनाये रखा. गौरतलब है कि रिटर्न भरने के लिये पहले जो नया फार्म अधिसूचित किया गया था उसे रोक दिया गया है.
जेटली ने पीटीआइ-भाषा से बातचीत में आइटीआर से संबंधित सवाल पर कहा, सार्वजनिक तौर पर विचार विमर्श के बाद उन्होंने आयकर विभाग को सरल से सरल फार्म पेश करने को कहा है. उन्होंने कहा, ‘वे (सीबीडीटी) प्रस्ताव लेकर आने वाले हैं. अब जबकि मैं संसद की व्यस्तता से मुक्त हुआ हूं, वे इसे मेरे सामने रखेंगे.’
वित्त मंत्री से सवाल किया गया था कि क्या नये आइटीआर फार्म में पृष्ठों की संख्या साढे तेरह से कम होगी. वित्त मंत्री से जब यह पूछा गया कि लोगों की आपत्तियों को देखते हुये क्या संशोधित फार्म में विदेश यात्राओं और बैंक खातों के बारे में पूछताछ नहीं की जाएगी, तो उन्होंने कहा, ‘आप प्रतीक्षा करें, पर मैं आपसे यही कह सकता हूं कि नया फार्म पहले की अपेक्षा बहुत सरल होगा.’
गौरतलब है कि नये आइटीआर फार्म को जारी किये जाने के बाद आलोचकों ने इसमें विदेश यात्रा और सभी बैंक खातों की जानकारी संबंधी प्रावधानों को ज्यादा दखल देने वाला बताया. जेटली ने फार्म के विवादास्पद सवालों के बारे में पूछे जाने पर कहा ‘जहां तक 10 में से आठ या नौ करदाताओं का सवाल है, तो उनके लिए फार्म बहुत सरल होना चाहिए. उसमें भरे जाने वाले बहुत से विवरण ऐसे हैं, जो उनके लिए बिल्कुल फालतू हो सकते हैं.’
जेटली ने कहा कि पोटा के तहत जमानत लगभग असंभव थी जब तक कि सरकारी वकील यह न मान ले कि कोई मामला नहीं है या फिर न्यायाधीश इस निष्कर्ष पर पहुंच जाए कि कोई मामला नहीं बनता. उन्होंने कहा कि पोटा के स्थान पर गैर-कानूनी गतिविधि निवारक अधिनियम लाया गया जिसमें जमानत के कडे प्रावधान हटा दिये गये जबकि कंपनी अधिनियम में इसे शामिल कर लिया गया.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद रोधी कानून के लिए जमानत के जिस प्रावधान को बेहद सख्त माना गया उसे एक-एक शब्द और पूर्णविराम के साथ कंपनी कानून में लाया गया. उन्होंने कहा कि हालिया संशोधनों के जरिए अधिनियम से इस प्रावधान को हटा दिया गया.
जेटली ने कहा ‘कार्पोरेट जगत में बहुत बडी धोखाधडी, सत्यम जैसा घोटाला हो सकता है. कई अन्य अपराध हैं जिनमें आप जुर्माना अदा करते हैं और निकल जाते हैं लेकिन आपके पास जमानत का ऐसा प्रावधान है जिसमें आपको कभी जमानत नहीं मिलती.’
जेटली ने कहा कि कंपनी अधिनियम के कडे और जटिल प्रावधानों की वजह से ही कई उद्यमियों ने सीमित दायित्व की भागीदारी वाली फर्म बनाना ही बेहतर समझा. संसद ने इससे पहले इस सप्ताह कंपनी अधिनियम में करीब 16 संशोधन किये हैं, जो कि मुख्यतौर पर कंपनियों को बंद करने, बोर्ड के प्रस्तावों, जमानत से जुडे प्रावधानों और बिना दावे वाले लाभांश के इस्तेमाल से जुडे थे.
जेटली ने कहा कि वर्ष 2013 में कानून बनने के बाद से ही कंपनियों की तरफ से शिकायतें मिलने लगीं थी और इसलिये ये संशोधन आवश्यक हो गये थे.