नयी दिल्ली : अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार रिजर्व बैंक की मंजूरी लेने की अनिवार्यता समाप्त करने की संभावना तलाश रही है. वर्तमान में एफआइपीबी मंजूरी के बाद निवेश प्रस्ताव पर आरबीआइ की मंजूरी लेनी होती है. सूत्रों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में संसद द्वारा मंजूर वित्त विधेयक, 2015 में विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) की धारा 6 में संशोधन किया गया है.
जिससे सीमा पार सौदों एवं अधिग्रहण और अचल संपत्ति का विदेशियों को हस्तांतरण के लिए रिजर्व बैंक की मंजूरी नहीं लेनी होगी. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय और उद्योग विभाग नये नियमों पर काम कर रहे हैं जिन्हें जल्द ही जारी किया जाएगा. प्रस्तावित व्यवस्था के तहत, सभी विदेशी निवेश प्रस्तावों को केवल एफआइपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) की मंजूरी लेने होगी.
उन्होंने कहा कि फेमा के तहत उस नियमन को खत्म किया जा रहा है जिसके तहत एफडीआइ प्रस्तावों पर आरबीआइ की मंजूरी लेनी होती है. वर्तमान में, विदेशी निवेश की या तो स्वत: मंजूरी मार्ग या सरकारी मंजूरी मार्ग के तहत अनुमति है. मंजूरी मार्ग के तहत 3,000 करोड रुपये तक के निवेश प्रस्तावों के लिए एफआइपीबी की मंजूरी लेनी आवश्यक है, जबकि इसके परे निवेश के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी आवश्यक है.
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