20 साल में 3 से 119 हुईं सेवा कर के दायरे में आने वाली सेवाओं की संख्‍या

।। अमलेश नंदन ।। केंद्र और राज्‍य सरकार की ओर से लगाये जाना वाला वैसा कर जो किसी व्‍यक्ति या संस्‍था पर सेवा प्रदान करने के एवज में लगाया जाने वाला कर ही सेवा कर है. सेवा प्रदाता की ओर से हर माह उसकी आमदनी के हिसाब से उससे कर के रूप में कुछ राशि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2015 12:53 PM

।। अमलेश नंदन ।।

केंद्र और राज्‍य सरकार की ओर से लगाये जाना वाला वैसा कर जो किसी व्‍यक्ति या संस्‍था पर सेवा प्रदान करने के एवज में लगाया जाने वाला कर ही सेवा कर है. सेवा प्रदाता की ओर से हर माह उसकी आमदनी के हिसाब से उससे कर के रूप में कुछ राशि वसूली जाती है. इसकी शुरुआत 1994 में की गयी है. शुरुआत में पांच फीसदी सेवा कर 2003 तक के लिए फिक्‍स कर दिया गया था.

यह एक अप्रत्‍यक्ष कर है, चूंकि इसे सेवा प्रदाता द्वारा अपने व्‍यापार संबंधी लेन देनों में सेवा प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति से वसूला जाता है. भारत में 1994 के दौरान सेवा कर की प्रणाली आरंभ की गई थी, जिसे वित्त अधिनियम, 1994 के अध्‍याय V में जोड़ा गया था. यह आरंभ में 1994 से तीन सेवाओं के आरंभिक समूह पर लगाया गया था तथा तब से उसके पश्‍चात वित्त अधिनियमों द्वारा निरंतर सेवा कर का विस्‍तार बढ़ाया जाता रहा है. वित्त अधिनियम को जम्‍मू और कश्‍मीर राज्‍य के अलावा पूरे भारत में सेवा कर की वसूली के लिए विस्‍तारित किया गया है.

नयी दरें 14 फीसदी लागूहोगी1 जून से

सेवा कर की नयी बढी हुई 14 प्रतिशत की दर एक जून से लागू होगी. सरकार ने यह जानकारी दे दी है. इस कदम से रेस्तरां जाना, बीमा और फोन बिल आदि महंगे हो जाएंगे. फिलहाल सेवा कर की दर 12.36 प्रतिशत है. इसमें शिक्षा उपकर भी शामिल है. शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सेवा कर की नयी 14 प्रतिशत की दर एक जून से लागू होगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के बजट में इसकी घोषणा की थी.

अपने बजट भाषण में जेटली ने कहा था कि केंद्र व राज्यों की सेवाओं पर सेवा कर को सुगमता से लागू करने के लिए मौजूदा सेवा कर की 12.36 प्रतिशत की दर (शिक्षा उपकर सहित) को मिलाकर 14 प्रतिशत किया जा रहा है. सेवा कर एक छोटी नकारात्मक सूची के अलावा सभी सेवाओं पर लगाया जाता है. विज्ञापन, हवाई यात्रा, आर्किटेक्ट की सेवाएं, कुछ प्रकार के निर्माण, क्रेडिट कार्ड, कार्यक्रम प्रबंधन, टूर आपरेटर जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं पर सेवा कर लगता है.

कौन विभाग देखता है कामकाज

वित्त मंत्रालय में राजस्‍व विभाग के तहत केन्‍द्रीय सीमा शुल्‍क और उत्‍पाद शुल्‍क मंडल (सीबीईसी) के माध्‍यम से सेवा कर के संग्रह और संबंधित लेवी की नीति के निर्धारण का कार्य किया जाता है. केन्‍द्र सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के उपयोग से सेवा कर नियमों द्वारा सेवा कर के आकलन और संग्रह के प्रयोजन को पूरा किया जाता है. सेवा कर का प्रशासन विभिन्‍न केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालयों द्वारा किया जाता है.

ये केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सीमा शुल्‍क मंडल के तहत कार्य करते हैं. दिल्‍ली, मुम्‍बई, कोलकाता, चेन्‍नई, अहमदाबाद और बैंगलोर मेट्रों शहरों में 6 आयुक्‍तालय स्थित हैं जो सेवा कर से संबंधी विशिष्‍ट कार्य करते हैं. मुम्‍बई में स्थित सेवा कर निदेशालय तकनीकी और नीति स्‍तर के समन्‍वय के लिए क्षेत्र स्‍तर पर गतिविधियों की समग्रता से देखभाल करता है.

कब कब बढ़ाये गये सेवा कर

सेवा कर की शुरुआत 1994 में की गयी. उस समय कुछ चुनिंदा सेवाओं में सरकार की ओर से टैक्‍स का निर्धारण किया गया जो 5 फीसदी था. इसे 2003 तक के लिए अपरिवर्तित रखा गया. बाद में अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह के तहत आने वाले इस कर प्रणाली से सरकार को अच्‍छी खासी राजस्‍व की प्राप्ति हुई. बाद में सरकार ने 2004 में शिक्षा क्षेत्र में कर को दो फीसदी बढ़ाते हुए पांच फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया. इसके बाद 2006 में इसे 12 फीसदी कर दिया गया.

2007 के मई में इसे और बढ़ाते हुए मौजूदा सरकार ने 12.36 फीसदी कर दी. बाद में आर्थिक मंदी के दौर में 2012 में सेवा कर को घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया. लेकिन यह बदलाव कुछ चुनिंदा सेवाओं पर ही लागु किया गया. उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने 1 जून 2016 से सेवा कर 14 फीसदी करने का निर्णय लिया है. आगामी 1 जून से नयी सेवा कर लागू हो जाने के बाद आम लोगों के लिए रेस्‍तरां और मोबाइल फोन सहित ब्‍यूटी पार्लर और हवाई यात्रा भी महंगी होगी.

अप्रैल में अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह अनुमान से अधिक

अप्रैल माह में अप्रत्‍यक्ष सेवा कर अनुमान से कहीं ज्‍यादा आया है. उत्पाद शुल्क संग्रह में दो गुना वृद्धि के दम पर अप्रत्यक्ष कर राजस्व पिछले साल के इसी माह के मुकाबले 46.2 प्रतिशत उछलकर 47,747 करोड रुपये पहुंच गया. अप्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले साल अप्रैल में 32,661 करोड रुपये था. इसमें उत्पाद शुल्क, सेवा कर तथा सीमा शुल्क से प्राप्त राजस्व शामिल हैं. वित्त वर्ष में अप्रत्यक्ष कर राजस्व का बजटीय लक्ष्य 6,46,267 करोड रुपये रखा गया है.

बयान में कहा गया है कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह अप्रैल 2015 में सालाना आधार पर 112.3 प्रतिशत बढकर 18,373 करोड रुपये रहा. वहीं सेवा कर संग्रह 21.2 प्रतिशत बढकर आलोच्य महीने में 15,088 करोड रुपये रहा जो पिछले साल महीने में 12,451 करोड रुपये था. गौरतलब है अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह में एक बड़ा योगदान सेवा कर का ही होता है.

सेवा कर से सरकार को प्राप्‍त राजस्‍व का वर्षवार आंकड़ा

वित्तीय वर्ष

राजस्‍व

(करोड़ रुपये में)

पिछले साल की तुलना में

ग्रोथ रेट

दायरे में आने वाली

सेवाओं की संख्‍या

1994 – 1995 407 ——- 03
1995 – 1996 862 112 06
1996 – 1997 1,056 23 06
1997 – 1998 1,586 50 18
1998 – 1999 1,957 23 26
1999 – 2000 2,128 09 26
2000 – 2001 2,613 23 26
2001 – 2002 3,302 26 41
2002 – 2003 4,122 25 52
2003 – 2004 7,891 91 62
2004 – 2005 14,200 80 75
2005 – 2006 23,055 62 84
2006 – 2007 37,598 63 99
2007 – 2008 51,301 36 100
2008 – 2009 60,941 19 106
2009 – 2010 58,422 -4.13 109
2010 – 2011 71,016 22 117
2011 – 2012 97,509 37 119
2012 – 2013 1,32,518 36 —–

20 साल में 3 से 119 हुईं सेवाओं की संख्‍या

अगर हम उक्‍त आंकड़ों पर गौर करें तो पायेंगे की सरकार ने सेवा कर के शुरुआत में वर्ष 1994 में मात्र 3 ही सेवाओं को कर के दायरे में रखा था. वहीं 20 साल बाद मौजूदा आंकड़ों के अनुसार 119 सेवाओं को कर के दायरे में लाया जा चुका है. सरकार ने धीरे-धीरे कर वैसे सभी सेवाओं को कर के दायरे में रख दिया है जिससे आम नागरिक परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है. इससे सरकार के राजस्‍व में हर साल इजाफा हुआ है. आंकड़ें बताते हैं कि सरकार को 2003 – 2004 में पिछले साल की अपेक्षा 91 फीसदी की बढा़ेतरी दर्ज की गयी. इय इस पूरे 20 साल की सबसे अधिक बढोतरी है.

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