100 सुरक्षा की गारंटी नहीं

हालिया आर्थिक उथल-पुथल से सामने आया डेट फंड से जुड़ा जोखिम हर संकट निवेश के लिए अवसर भी लेकर आता है. अभी निवेशक अच्छे डेट फंडों में घटी दरों पर निवेश कर सकते हैं. एक तरह से कहें तो यह सेल जैसा मौका है. भविष्य में जब ब्याज दरों में कटौती का दौर आयेगा, तब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 16, 2013 12:29 PM

हालिया आर्थिक उथल-पुथल से सामने आया डेट फंड से जुड़ा जोखिम

हर संकट निवेश के लिए अवसर भी लेकर आता है. अभी निवेशक अच्छे डेट फंडों में घटी दरों पर निवेश कर सकते हैं. एक तरह से कहें तो यह सेल जैसा मौका है. भविष्य में जब ब्याज दरों में कटौती का दौर आयेगा, तब अभी किया गयानिवेश अच्छा रिटर्न देगा.

बहुत से लोग सोचते हैं कि डेट म्यूचुअल फंड (ऋण साझा कोष योजनाएं) 100 फीसदी सुरक्षित निवेश है और इसके रिटर्न में उतार-चढ़ाव का कोई जोखिम नहीं होता. लेकिन, यह एक मिथक है, जो हाल में बहुत साफ तौर पर सामने आया है. घोड़े पर सवार डेट फंड धड़ाम हो चुके हैं. इनमें लंबी अवधि के फंड जैसे लांग एवं मीडियम टर्म गिल्ट फंड और इनकम फंड भी शामिल हैं. ‘वैल्यू रिसर्च’ ऑनलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, 13 सितंबर को बीते एक माह में लांग एवं मीडियम टर्म गिल्ट फंड श्रेणी का औसत रिटर्न महज 0.57 फीसदी और इनकम फंड श्रेणी का औसत रिटर्न महज 0.81 फीसदी रहा. इससे एक माह पहले हालात और भी खराब थे. बीते तीन महीनों में अनेक प्रमुख डेट फंड योजनाओं ने नकारात्मक रिटर्न दिये हैं.

दोहरी मार

बीते दिनों दो ऐसी चीजें सामने आयीं जिनका भूत न सिर्फ शेयर बाजार पर छाया रहा, बल्कि उन्होंने डेट मार्केट (ऋण बाजार) को भी डरा दिया जिसका असर डेट फंडों पर पड़ा. पहला, ऐसा अनुमान था कि अमेरिका का फेडरल रिजर्व राहत कार्यक्रम को वापस लेने जा रहा है, जिसकी वजह से विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने भारत और अन्य उभरते बाजारों को छोड़ अपने घर का रुख किया.

नतीजतन, बांड की कीमतें गिरीं और इसका असर बांड फंड के मूल्यों पर पड़ा. एफआइआइ के भारतीय बाजार से निकलने से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट दर्ज की गयी. रुपये में गिरावट थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने जो कदम उठाये उसने डेट फंडों की मुसीबत और बढ़ा दी. अर्थ-प्रणाली से तरलता (नकदी की उपलब्धता) गायब-सी हो गयी और ब्याज दरें बढ़ गयीं.

दूसरा, ब्याज दरें बांड कीमतों से उल्टी तरह से जुड़ी होती हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो अगर ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो समान फेस वैल्यू और मियाद के नये बांड ज्यादा ऊंची ब्याज दरों की पेशकश करेंगे. यह मौजूदा बांडों को कम आकर्षक और कम कीमत का बना देता है. नतीजा यह होता है कि डेट फंड में निवेश का मूल्य गिर जाता है. इसके अलावा जो निवेशक रोज अपने निवेश का मूल्य देखते हैं, उनमें घबराहट पैदा होती है और वे अपना निवेश निकालने लगते हैं. इससे प्रबंधन के अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में गिरावट आती है.

क्या हो रणनीति

डेट फंड के निवेशक के लिए यह जानना जरूरी है कि डेट फंड का रिटर्न बैंक जमा की तरह सुनिश्चित नहीं होता. वह बाजार के हालात (जैसे, मुद्रास्फीति, ब्याज दरों, वैश्विक और घरेलू आर्थिक स्थितियों आदि) के मुताबिक ऊपर-नीचे हो सकता है. हालांकि, अच्छे फंड प्रबंधक इन चुनौतियों के बावजूद अच्छे रिटर्न दिला पाते हैं. डेट फंड निवेश ऊपर तब जाता है, जब फंड में शामिल ऋण प्रतिभूतियों (डेट सिक्यूरिटीज) का मूल्य ऊपर चढ़ता है. जिन लोगों पर सबसे ऊंची टैक्स दरें लागू होती हैं, उनके लिए डेट फंड से मिलनेवाले रिटर्न का खास महत्व है, क्योंकि इस रिटर्न को कैपिटल गेन (पूंजीगत प्राप्ति) मान कर टैक्स लगाया जाता है.

अगर निवेश एक साल से ऊपर बनाये रखा जाता है, तो रिटर्न पर 10 फीसदी टैक्स बिना इंडक्सेशन लाभ के या 20 फीसदी टैक्स इंडक्सेशन लाभ के साथ लगाया जाता है. यह बैंक जमा पर लगनेवाले कर के मुकाबले काफी कम है. बैंक जमा जैसे ब्याज आधारित निवेशों पर सबसे ऊंची दर से टैक्स लगाया जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए निवेशकों को रणनीति बनानी चाहिए.

मौजूदा निवेशकों के लिए

हाल में जो चीजें सामने आयी हैं, वे असाधारण हैं और इसने सभी डेट फंडों को प्रभावित किया है. लेकिन, समझदारी निवेश बनाये रखने में है, क्योंकि निकालने पर आपको घाटा ही होगा. जानकार बताते हैं कि ब्याज दरें नीचे जरूर जायेंगी, भले ही इसमें कुछ समय लगे. इसके बाद डेट फंडों का मूल्य स्वत: बढ़ना शुरू हो जायेगा. हां, आर्थिक हालात सामान्य होने तक निवेशकों को उतार-चढ़ाव के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए.

नये निवेशकों के लिए

हर संकट निवेश के लिए अवसर भी लेकर आता है. अभी निवेशक अच्छे डेट फंडों में घटी दरों पर निवेश कर सकते हैं. एक तरह से कहें तो यह सेल जैसा मौका है. भविष्य में जब ब्याज दरों में कटौती का दौर आयेगा, तब अभी किया गया निवेश अच्छा रिटर्न देगा. अगर आप अभी डेट फंड खरीदने की सोच रहे हैं, तो फंड के लिए मियाद का चयन सावधानी से करें, ताकि आप जोखिम को सही ढंग से समंजित कर सकें. जो निवेशक कम से कम तीन साल की अवधि के लिए पैसा लगाना चाहते हैं, वे लांग टर्म डेट फंड या डायानामिक बांड फंड का चयन कर सकते हैं.

जो निवेशक छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, उन्हें शॉर्ट टर्म फंड में निवेश करना चाहिए. जो निवेशक एक निश्चित अवधि के लिए अपने पैसे के लॉक- इन को तैयार हैं, वे फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान (एफएमपी) को चुन सकते हैं. एफएमपी क्लोज एंडेड डेट योजनाएं होती हैं, जहां ऋण पत्रों की मियाद परिपक्वता अवधि के अनुरूप होती है. इससे ब्याज दर का जोखिम खत्म हो जाता है.

अभी जो उथल-पुथल चल रही है, उससे यह सबक मिलता है कि डेट फंड चुनते समय भी वैसी ही सावधानी बरतनी चाहिए जैसी कि हम इक्विटी फंड का चयन करते समय बरतते हैं. हमें उतना ही जोखिम लेना चाहिए, जितना हम हजम कर सकें. 100 फीसदी सुरक्षा सिर्फ एक भ्रम है.

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