18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

चिदंबरम ने उठाया सवाल, बहुमत होने के बावजूद सरकार क्यों नहीं खत्म कर रही है मैट

नयी दिल्ली : कांग्रेस पर संसद में अवरोध पैदा करने की नीति अपनाने के आरोपों को खारिज करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार लोकसभा में प्रभावशाली बहुमत होने के बावजूद पिछली तिथि से कर के प्रावधान और विदेशी संस्थागत निवेशकों, एफआईआई पर न्यूनतम वैकल्पिक कर, मैट खत्म नहीं कर […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस पर संसद में अवरोध पैदा करने की नीति अपनाने के आरोपों को खारिज करते हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार लोकसभा में प्रभावशाली बहुमत होने के बावजूद पिछली तिथि से कर के प्रावधान और विदेशी संस्थागत निवेशकों, एफआईआई पर न्यूनतम वैकल्पिक कर, मैट खत्म नहीं कर रही है.

चिदंबरम ने भाषा के साथ बातचीत में आरोप लगाया कि भाजपा ने संप्रग के कार्यकाल में जीएसटी जैसे विधेयकों को रोका था पर अब अपने रुख से पलट गयी है. उन्होंने मोदी सरकार के इस दावे को खारिज किया, उसने निराशा के बादल छांट दिए है. उन्होंने कहा कि वास्तव में निराशा का माहौल भाजपा का ही बनाया था.
मोदी सरकार के प्रदर्शन की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि किसान और बेरोजगार इस सरकार को बहुत कम अंक देंगे.
संप्रग द्वारा अर्थव्यवस्था को बदहाली में छोडने के आरोप को सख्ती से खारिज करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि राजग को विरासत में ऐसी अर्थव्यवस्था मिली जो करीब सात प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज कर रही थी और मुद्रास्फीति घट रही थी, राजकोषीय घाटा कम हो रहा था और चालू खाते का घाटा नियंत्रण में था. साथ ही कहा कि कोई निराशाजनक माहौल नहीं था.
अवरोधात्मक भूमिका निभाने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने इससे इंकार किया.
चिदंबरम ने इस संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली के एक बयान का जिक्र किया जो तब राज्य सभा में विपक्ष के नेता के रूप में दिया गया था और जिसमें उन्होंने कहा था कि अवरोध की नीति जायज संसदीय रणनीति है.
उन्होंने कहा, हम ऐसे नहीं हैं. जेटली ने लंदन में अपने संबोधन में कहा था कि अवरोध की नीति जायज संसदीय रणनीति है. हम बाधा उत्पन्न नहीं कर रहे हैं. उन्होंने बीमा संशोधन कानून को बाधित किया, हमने पारित कराया. उन्होंने जीएसटी को बाधित किया. हमने कहा कि हम इसे पारित करायेंगे लेकिन स्थायी समिति के अध्ययन करने के बाद हमने किस कानून में बाधा खडी की?
चिदंबरम ने कहा, उन्होंने कालाधन कानून पेश किया, हमें कुछ आपत्तियां थीं फिर भी हमने इसे पारित कराया क्योंकि अगर आप इसे पारित नहीं करायेंगे तब वे कहेंगे कि आप उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं, जिनके पास कालाधन है. हमने इसे पारित कराया हालांकि हमें आपत्तियां थीं. कांग्रेस नेतृत्व में विधायी साक्षरता की कमी होने संबंधी जेटली की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, अगर स्मृति ईरानी एचआरडी मंत्री हो सकती हैं, तब हम सभी निरक्षर हैं. उल्लेखलीय है कि कांग्रेस ने पूर्व में स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता का मुद्दा उठाते हुए एचआरडी मंत्री के रूप में उनकी उपयुक्तता पर सवाल खडा किया था.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक वर्ष तक अपेक्षाकृत रुप से शांत रहते हुए भाजपा सरकार के साथ काफी शिष्टता से पेश आई है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, लेकिन अब जबकि उन्होंने एक वर्ष पूरा कर लिया है, हमें विपक्ष की भूमिका निभानी होगी. हमने उन्हें वह वक्त दिया जिसे वे हनीमून की अवधि बता रहे थे. हमने उन्हें एक साल दिया. एक साल पूरा होने पर हम ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा कि वह पहला दिन हो. यह एक साल है.
सोनिया और राहुल गांधी द्वारा हाल में सरकार के प्रति आक्रामक रुख अख्तियार करने के बारे में एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा, विपक्ष के लिए ऐसा करना सही बात है. कांग्रेस द्वारा काफी महत्वपूर्ण मुद्दे उठाने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, अगर यह सरकार विकास, रोजगार, सामाजिक न्याय, सीमा सुरक्षा के विषयों से नहीं निपटती है, तब विपक्ष उन्हें उठायेगा. अगर सरकार काम नहीं करती है, तब हम उसका विरोध करना जारी रखेंगे.
मोदी सरकार पर राहुल गांधी के सूटबूट की सरकार के तंज के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, सूटबूट की सरकार एक राजनीतिक टिप्पणी है. उन्होने कहा, हमने मोदी से 10 लाख रुपये का सूट पहनने को नहीं कहा था लेकिन अगर वह ऐसा पहनते हैं. एक राजनीतिक टिप्पणी के रूप में राहुल ने इसे सूटबूट की सरकार कहा जिसका आशय कारपोरेट समर्थक सरकार से है. चिदंबरम ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों को आगे बढाने के तौर तरीकों के संबंध में सरकार पर निशाना साधा.
उन्होने कहा, इस संबंध में यह हैरानी वाली बात है. चुनाव के पहले वे क्या कहते थे ? सरकार बनने के तत्काल बाद उन्होंने क्या कहा और अब वे क्या कह रहे हैं ? आप इन तीनों को अलग अलग कतारों में रखें तब आपको विरोधाभास पता चल जायेगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, उन्होंने पाकिस्तान के एक प्रधानमंत्री का स्वागत किये जाने को बिरयानी कूटनीति करार देकर आलोचना की थी. वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ बात करना चाहते हैं या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ बात नहीं करना चाहते हैं. इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें