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अब देश में ही तैयार होगी करेंसी नोट के पेपर, होशंगाबाद में स्थापित हुई पेपर फैक्ट्री

भोपाल : केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद जिले में 495 करोड़ रुपये के लागत से नोट पेपर फैक्ट्री का उद्घाटन किया. होशंगाबाद स्थित नोट करेंसी पेपर फैक्ट्री में अब 1000 रुपये का नोट बनेंगे. उद्घाटन के बाद नोट पेपर की पहली खेप नासिक रवाना हो गयी. […]

भोपाल : केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद जिले में 495 करोड़ रुपये के लागत से नोट पेपर फैक्ट्री का उद्घाटन किया. होशंगाबाद स्थित नोट करेंसी पेपर फैक्ट्री में अब 1000 रुपये का नोट बनेंगे.

उद्घाटन के बाद नोट पेपर की पहली खेप नासिक रवाना हो गयी. गौरतलब है कि नोट पेपर फैक्ट्री के उद्घाटन के बाद अब विदेशों से नोट पेपर आयात नही करना पड़ेगा. नयी पेपर फैक्ट्री सिक्यॉरिटी प्रिंटींग ऐंड मिटिंग कॉपरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा शुरू किए गए बैंक नोट पेपर के देशीकरण का हिस्सा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत का प्रतीक है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि उच्च मूल्य वर्ग के नोट भी देश में निर्मित कागज पर ही छापे जायें. मंत्री ने कहा कि वर्तमान में उच्च मूल्य वर्ग के नोट आयातित कागज पर छापे जाते हैं, हालांकि, इसमें जिस स्याही का उपयोग होता वह देश में ही बनाई जाती है. जेटली ने नई बैंक नोट कागज उत्पादन इकाई के उद्घाटन के मौके पर ये बातें कहीं. भारत प्रतिभूति कागज मिल (एसपीएम) की इस इकाई की सालाना कागज उत्पादन क्षमता 6,000 टन होगी.
मंत्री ने हालांकि, इस बात पर खुशी जाहिर की कि सरकार के प्रमुख कार्यक्रम मेक इन इंडिया की शुरुआत मध्य प्रदेश से हो रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हाल की अनेक पहलों के बाद मध्य प्रदेश अब बीमारु राज्य नहीं रह गया है. जेटली ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने कृषि और बुनियादी ढांचा प्रोत्साहन की दिशा में अच्छी प्रगति की है और इसे अब उद्योग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. साथ ही उन्होंने राज्य की विनिर्माण गतिविधियों को और प्रोत्साहित करने की मांग पर विचार करने का भी वादा किया. होशंगाबाद को कई दशक पहले मोरारजी देसाई ने नोट मुद्रण के लिए कागज उत्पादन केंद्र के तौर पर चुना था जो तत्कालीन वित्त मंत्री थे और बाद में प्रधानमंत्री बने. जेटली ने हालांकि, कहा कि यहां से कम मूल्य वाले मुद्रा नोट के लिए कागज का उत्पादन होता रहा है.
नए संयंत्रों के विकास से करेंसी मुद्रण के लिए पर्याप्त मात्रा में कागज का उत्पादन संभव है ताकि देश की जरुरत पूरी की जा सके. मैसूर की मुद्रा नोट कागज इकाई की क्षमता 12,000 टन होगी और उम्मीद है कि साल के अंत तक यह चालू हो जाएगी. वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया इन दोनों करेंसी नोट कागज की परियोजनाओं से आने वाले समय में संयुक्त रुप से करीब 1,500 करोड रपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी. मंत्रालय ने कहा कि इससे विदेश से आयात होने वाले कागज का नकली मुद्रा छापने के लिए अन्यत्र पहुंचने की संभावना भी कम होगा.
न्यू बैंक पेपर का शिलान्यास तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुख्रर्जी ने दिसम्बर 2011 में किया था. गौरतलब है कि, कई विशेषज्ञो का मानना था कि नोट के पेपर विदेशों से आयात होने से जाली नोट के कारोबार पर नकेल लगाना आसान नही था लेकिन अब देश में नोट पेपर के निर्माण होने से जाली नोटो पर रोक लगा पाने में आसानी होगी.

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