मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक के नये गवर्नर रघुराम राजन कल पहली बार मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे. राजन नीतिगत समीक्षा ऐसे समय में करने जा रहे हैं जबकि एक तरफ तो नीतिगत दरों में कटौती तथा दूसरी ओर मुद्रास्फीति पर काबू पाने के कदमों की जरुरत जताई जा रही है.थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त महीने में बढ़कर छह महीने के उच्च स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई.राजन के लिए राहत की बात यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी नकदी प्रोत्साहन नीति में कोई बदलाव नहीं किया है. फेडरल रिजर्व ने कल बाजारों को यह कह कर चौंका दिया कि वह अपना 85 अरब डालर मासिक बांड खरीद कार्यक्रम जारी रखेगा और वृद्धि में सुधार के और साक्ष्यों का इंतजार करेगा.
फेडरल रिजर्व के प्रोत्साहन कार्यक्रम को धीरे-धीरे खत्म करने की आशंका के कारण पिछले दिनों भारतीय अर्थव्यवस्था, खास कर बांड बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूंजी प्रवाह कम हो गया था जिससे रपया अमेरिकी डालर के मुकाबले काफी गिर गया. विश्लेषकों का मानना है कि फेडरल रिजर्व के इस कदम से राजन के पास गिरती आर्थिक वृद्धि दर को काबू में लाने के कदम उठाने की गुंजाइश बची है.बैंकर तथा उद्योग जगत का केंद्रीय बैंक द्वारा 2013-14 की मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में नीतिगत दरों में कमी तथा नकदी को आसान बनाने पर जोर है. भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा,हमने नकदी बढाने तथा इसे कम खर्चीला बनाने के लिए सिफारिश की हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कल मुख्य ब्याज दर में कोई बदलाव होगा.
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