दाल, तेल की मूल्यवृद्धि रोकना एक चुनौती: पासवान
नयी दिल्ली : खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि देश में दलहनों एवं खाद्य तेलों की मूल्यवृद्धि को रोकना तब तक एक चुनौती बनी रहेगी जब तक कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इन दोनों चीजों के घरेलू उत्पादन को पर्याप्त रूप से नहीं बढाया जाता. उन्होंने कहा कि दलहनों और […]
नयी दिल्ली : खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने आज कहा कि देश में दलहनों एवं खाद्य तेलों की मूल्यवृद्धि को रोकना तब तक एक चुनौती बनी रहेगी जब तक कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए इन दोनों चीजों के घरेलू उत्पादन को पर्याप्त रूप से नहीं बढाया जाता.
उन्होंने कहा कि दलहनों और तिलहनों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने और उन्हें सहायता दिये जाने की आवश्यकता है.
अपने मंत्रालय के एक वर्ष की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पासवान ने कहा, मौजूदा समय में गेहूं, चावल और चीनी की कीमतों में कोई वृद्धि नहीं हुई है. केवल दो तीन जिंसो – दलहन और खाद्य तेल महंगे हुए है. जब तक इनका घरेलू उत्पादन बढाने का रास्ता नहीं खोजा जाता जब तक समस्या बनी रहेगी. सरकारी आंकडों के अनुसार विगत एक वर्ष में कुछ दालों के भाव 64 प्रतिशत तक बढ गए हैं.
दलहनों का घरेलू उत्पादन 1.8 से 1.9 करोड टन है और करीब 30 से 40 लाख टन दलहन का आयात करना पडता है. इसी तरह देश हर साल एक करोड से 1.2 करोड टन वनस्पति तेल का आयात करता है.
पासवान ने कहा कि सब्जियों की कीमतों को अंकुश में रखने के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा एक मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई है जबकि एक साझा राष्ट्रीय बाजार की स्थापना के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं.
इसके अलावा उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय आवश्यक जिंस कानून में संशोधन लाने के लिए कार्य कर रहा है ताकि प्रमुख आवश्यक जिंसों की जमाखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके.
उपभोक्ता मामला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जी गुरचरण ने कहा, कानून में प्रस्तावित संशोधन को राज्य सरकारों के पास भेजा गया है. अभी तक 10-11 राज्यों ने सकारात्मक जवाब दिये हैं. बाकी राज्यों की प्रतिक्रिया मिलने के बाद हम मंत्रिमंडलीय परिपत्र आगे लायेंगे.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को सस्ते खाद्यान्न की आपूर्ति के बारे में पासवान ने कहा कि इस कानून को लागू करने की समयसीमा को तीन बार बढाकर अब राज्यों को चार सितंबर तक इसे लागू करने का समय दिया गया है. अभी तक 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कानून को लागू किया गया है.
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