क्या है रघुराम राजन के दिमाग में, रेट कट करेंगे तो क्यों और नहीं करेंगे तो क्यों?
मुंबई : रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन आज जारी वित्तीय वर्ष में दूसरी बार मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे. देश का उद्योग जगत व आमलोग ही नहीं, बल्कि सरकार भी उनसे उदारता की उम्मीद कर रही है और हर कोई यह आस लगाये हुए है कि वे 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक रेट कट […]
मुंबई : रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन आज जारी वित्तीय वर्ष में दूसरी बार मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे. देश का उद्योग जगत व आमलोग ही नहीं, बल्कि सरकार भी उनसे उदारता की उम्मीद कर रही है और हर कोई यह आस लगाये हुए है कि वे 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक रेट कट कर उद्योग जगत के साथ आमलोगों को राहत दे दें. वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी उनसे रेट कट की उम्मीद जतायी है. इस वित्तवर्ष में गवर्नर ने दो बार 25 बेसिस प्वाइंट की रेट कट की है, जिसके बाद फिलहाल यह साढे सात फीसदी है. हालांकि उनसे कुल 100 बेसिस प्वाइंट रेट कट की उम्मीद की जा रही है.
लेकिन, रघुराम राजन को जानने वाले जानते हैं कि इन दबावों व अपेक्षाओं के आधर पर वे फैसले नहीं लेते. वे वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा करते हुए देश की जरूरतों और आगामी संभावित संकट को देखते हुए वही निर्णय लेंगे जो उन्हें देश के आर्थिक ढांचे के लिए सर्वाधिक उपयुक्त लगेगा.
रघुराम राजन के साथ देश के वित्तीय संरचना में अभी चित्त भी मेरी और पट भी मेरी, वाली स्थिति है और उनके द्वारा उठाये जाने वाले दोनों कदमों का अपने अपने ढंग से विश्लेषण होगा. ऐसे में आइए, जानें रेट कट होने या नहीं होने के पांच अहम कारणों के बारे में.
संभावित रेट कट के पांच कारण
1. उपभोक्ता महंगाई दर करीब 40 फीसदी तक घटी है. अप्रैल में यह घटकर 4.87 प्रतिशत आ गयी. महंगाई पर नियंत्रण का हवाला देकर रिजर्व बैंक से रेट कट की उम्मीद जतायी जा रही है और गवर्नर अगर कटौती करते हैं, तो वह इसका एक अहम कारण होगा.
2. नरेंद्र मोदी सरकार ने राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता पायी है. इसमें सरकार को सबसे बडी मदद क्रूड प्राइस से मिली है. राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण को रेट कट के लिए मददगार माना जा रहा है. इकोनॉमी का पॉजिटिव रुख भी रेट कट में मददगार है. विकास दर बढी है, इसके और बढने की उम्मीद भी है.
3. पिछली बार रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा के दौरान बैंकों को फटकार लगायी थी कि वह रेट कट कर देता है, लेकिन बैंक इसका लाभ आम आम आदमी को नहीं देते और वे ब्याज दर नहीं घटाते. गवर्नर रघुराम राजन की फटकार के बार बैंकों ने रेट कट में कमी की. अबतक लगभग दर्जन भर बैंकों ने रेट कट कर दिया है. बैंक अपनी इस पहल के हवाले से ही गवर्नर से रेट कट की उम्मीद प्रकट कर रहे हैं. यह भी रेट कट का अहम कारण हो सकता है.
4. घरेलू निवेश को बढावा देने के लिए रेट कट की उम्मीद जतायी जा रही है. उद्योग जगत का मानना है कि गवर्नर अगर एक बार 50 बेसिस प्वाइंट रेट कट करते हैं, तो यह घरेलू अर्थव्यवस्था में जान फूंक देगा. इसको दो चरणों में भी करने से लाभ होगा. कुछ आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि चीन ने इसी नीति पर अपने घरेलू बाजार को गति दी है.
5. पिछली समीक्षा के दौरान गवर्नर ने कहा था कि सप्लाई साइड की दिक्कत दूर होने व बैंकों के द्वारा ग्राहकों को लाभ देने के बाद वे रेट कट पर विचार कर सकते हैं. वित्तमंत्री का हाल में बयान आया था कि सरकार ने निवेश के स्तर पर माहौल बनाने के लिए काम किया है. ये सब भी संकेत भी रेट कट के पक्ष में हैं.
अगर रेट कट नहीं होगा तो उसके क्या हो सकते हैं पांच कारण
1. मानसून का रुख थोडा सा नाकारात्मक दिख रहा है. रबी की उपज पहले ही कम हुई है, अब अगर खरीफ की फसल भी बिगडे मानसून से खराब होगी, तो देश में महंगाई दर बढना तय है. यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं होगा. ऐसे में रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा तक के लिए रेट कट का फैसला टाल सकता है.
2. अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें एक बार फिर बढने की उम्मीद जतायी जा रही है. अगर ऐसा होगा तो भारत के राजकोषीय घाटे पर नाकारात्मक असर पडेगा, जो सरकार व रिजर्व बैंक की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है. ऐसे में रेटकट का फैसला टल सकता है.
3. दुनिया की सबसे बडी अर्थव्यवस्था अमेरिका में रेट बढने की उम्मीद है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की प्रमुख जेनेट येलेन ने संकेत दिया है कि सितंबर में वह ब्याज दरों में वृद्धि कर सकती हैं. अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पूरी दुनिया में असर होता है, ऐसे में रेट कट की ओर बढे कदम थम सकते हैं.
4. रघुराम राजन देश के पॉजिटिव इकोनॉमी के रुख के और पॉजिटिव होने का इंतजार कर सकते हैं. अगर अगले कुछ महीने में देश की अर्थव्यवस्था का रुख और पॉजिटिव हो जायेगा, मानसून ठीक हो जायेगा, अमेरिका की मौद्रिक नीति में स्पष्टता आ जायेगी तो फैसला ले सकते हैं. वे हंगामे के बीच नहीं बल्कि अचानक चौंकाने वाले फैसले लेते हैं.
5. मौजूदा परिस्थिति में रिजर्व बैंक के लिए रेट कट करना बहुत मुश्किल नहीं है, लेकिन आने वाले दो चार महीनों में विपरीत परिस्थितियों में अगर वह रेट बढाता है, तो इसका आम जन मानस पर ऋणात्मक असर पड सकता है. इसलिए लोग को मौजूदा स्थिति में व आगत परेशानियों से जूझने के लिए तैयार रखने के उद्देश्य से भी रिजर्व बैंक रेट कट को टाल सकता है.
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