रिजर्व बैंक के निर्णय से रीयल एस्टेट और उद्योग जगत निराश

नयी दिल्ली : प्रमुख नीतिगत दर बढ़ाने के रिजर्व बैंक के निर्णय पर निराशा व्यक्त करते हुए रीयल एस्टेट डेवलपरों ने कहा है कि इससे कोष की लागत बढ़ेगी और त्यौहारी के मौसम में मकानों की मांग प्रभावित होगी.डीएलएफ के मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक त्यागी ने बताया, मौजूदा हालात में रेपो दर बढ़ाने की कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2013 4:49 PM

नयी दिल्ली : प्रमुख नीतिगत दर बढ़ाने के रिजर्व बैंक के निर्णय पर निराशा व्यक्त करते हुए रीयल एस्टेट डेवलपरों ने कहा है कि इससे कोष की लागत बढ़ेगी और त्यौहारी के मौसम में मकानों की मांग प्रभावित होगी.डीएलएफ के मुख्य वित्तीय अधिकारी अशोक त्यागी ने बताया, मौजूदा हालात में रेपो दर बढ़ाने की कोई जरुरत नहीं थी. इससे वृद्धि की धारणा और प्रभावित होगी. रीयल एस्टेट क्षेत्र पर इसके असर के बारे में पूछे जाने पर त्यागी ने कहा कि कुल मिलाकर धारणा सतर्कतापूर्ण रहेगी, लेकिन अच्छे स्थानों पर विश्वसनीय डेवलपरों के अच्छे उत्पादों की हमेशा मांग रहेगी.

उल्लेखनीय है कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने के लिए रिजर्व बैंक ने आज अल्पकालिक नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर दी. इससे मध्यम अवधि में आवास एवं वाहन ऋणों के लिए ईएमआई बढ़ सकती है.

पाश्र्वनाथ डेवलपर्स के प्रदीप जैन ने कहा, रिजर्व बैंक की ओर से इस तरह के संकेत देखकर बहुत निराशा हुई है. यद्यपि रेपो दर में 25 आधार अंक की वृद्धि से मुद्रास्फीति मामूली रुप से नियंत्रित हो सकती है, इसका धारणा पर उल्लेखनीय असर पड़ने जा रहा है. जमीन-जायदाद क्षेत्र को परामर्श सेवा देने वाली वैश्विक फर्म जोन्स लांग लासाले इंडिया के चेयरमैन कंटरी हेड अनुज पुरी ने कहा कि रेपो दर बढ़ने से डेवलपरों की कोष लागत बढ़ेगी और उनका लाभ माजिर्न प्रभावित होगा.

* रिजर्व बैंक के निर्णय से उद्योग जगत निराश
उद्योग जगत ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में0.25प्रतिशत की वृद्धि पर निराशा जताई है.यह वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यि बैंकों को उनकी फौरी आवश्यकता के लिए धन उधार देता है और इससे बैंकों के धन की लागत बढती घटती है.

उद्योग जगत ने कहा है कि पूंजी महंगी होने से उद्यमियों को नकदी की तंगीका सामना करना पड़ रहा है.उनकी राय में इस समय केंद्रीय बैंक को पूंजी सस्ती करने के उपाय करने चाहिए थे.

उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा,वृद्धि के रास्ते में सबसे बड़ी अड़चन ऊंची ब्याज दर है.रेपो दर में बढ़ोत्तरी पर हमें हैरानी हुई है.वहीं उद्योग जगत को निराशा हुई है.हम ब्याजदरों में कमी तथा ऋण की उपलब्धता चाहते हैं और हमें भरोसा है कि रिजर्व बैंक आगे हमारी इस मांग पर ध्यान रखेगा.

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा,रेपो दर में बढ़ोतरी से बचा जा सकता था क्योंकि उद्योग जगतपूंजीकी ऊंची लागत के दबाव को झेल रहा है और अभी नकदी की उपलब्धता भी सख्त है.केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में लघु अवधि की ब्याज दर यानी रेपो दर को0.25प्रतिशत बढ़ाकर7.5प्रतिशत कर दिया है.

एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा,उम्मीद के उलट रिजर्व बैंक ने मौद्रिक रख को और कड़ा किया है.इससे यह संकेत गया है कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण उसकी शीर्ष प्राथमिकता है.रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने सतर्कता का रख अपनाया. हालांकि वित्तीय बाजार उनसे कुछ अधिक ही उम्मीद कर रहा था.

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