आने वाले दिनों में आप अपने ही शहर में चेक बाउंस होने की कर सकेंगे शिकायत, कैबिनेट की मंजूदी, आयेगा अध्यादेश

नयी दिल्ली : चेक बाउंस (वापस) होने से संबंधित मामलों में अब लोगों को मुकदमा करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. केंद्र सरकार एक ऐसा अध्‍यादेश लाने की तैयारी में है, जिसके आ जाने से बाउंस चेक के खिलाफ तत्‍काल मुकदमा किया जा सकता है. इस मामले से जूझ रहे 18 लाख लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 10, 2015 6:12 PM

नयी दिल्ली : चेक बाउंस (वापस) होने से संबंधित मामलों में अब लोगों को मुकदमा करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. केंद्र सरकार एक ऐसा अध्‍यादेश लाने की तैयारी में है, जिसके आ जाने से बाउंस चेक के खिलाफ तत्‍काल मुकदमा किया जा सकता है. इस मामले से जूझ रहे 18 लाख लोगों की सुविधा के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम (परक्राम्य विलेख अधिनियम) में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया है जिससे ऐसे मामलों में उसी जगह कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सकेगी जहां वह चेक भुगतान प्राप्त करने या क्लियरिंग के लिए जमा कराया गया है.

पिछले साल मई में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यह 14वां अध्यादेश होगा. प्रस्तावित अध्यादेश से चेक बाउंस मामलों में उसी जगह मुकदमा दायर करने की छूट मिल जाएगी जहां चेक समाशोधन या भुगतान के लिए जमा कराया गया है. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘जैसा कि आप नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट संशोधन अध्यादेश के बारे में जानते हैं, उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है कि यदि आपको किसी से चेक मिलता है और यह बाउंस हो जाता है, तो इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई उसी राज्य में शुरू की जा सकती है जहां से उसे जारी किया गया है.’

गडकरी ने कहा, ‘विभिन्न अदालतों में ऐसे 18 लाख मामले चल रहे हैं. सरकार इस बारे में संसद में विधेयक लेकर आई थी. राज्यसभा में इसे पारित नहीं किया जा सका. ऐसे में लोगों को राहत देने के लिए सरकार यह अध्यादेश ला रही है.’ उन्‍होंने कहा कि इस अध्यादेश से 18 लाख लोगों को राहत मिलेगी. यहां उल्लेखनीय है कि भूमि अध्यादेश जिसे पिछले महीने तीसरी बार जारी किया गया वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का 13वां सरकारी आदेश है.

गडकरी ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस के तीन मामले हैं तो इन सभी के मामलों को मुकदमे के लिए एक साथ कर ही स्थान पर लाया जा सकता है. नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट (संशोधन) अधिनिमय लोकसभा में मई में पारित कर दिया गया था. इसका मकसद उच्चतम न्यायालय की 2014 की उस व्यवस्था को पलटना है जिसमें कहा गया है कि चेक वापस होने के मामले में मुकदमा वहीं शुरू किया जा सकता है जहां बैंक की चेक जारी करने वाली शाखा स्थित है.

लोकसभा में पारित संशोधन के अनुसार चेक बाउंस का मामला सिर्फ वहीं की अदालत में चल सकता है जहां चेक प्राप्तकर्ता की बैंक शाखा है. यदि चेक लिखने करने वाले व्यक्ति के खिलाफ उचित अधिकार क्षेत्र वाली अदालत में मामला दायर है, तो उसके बाद की सभी शिकायतें उसी अदालत में दाखिल की जाएंगी, चाहे यह किसी भी क्षेत्र का मामला हो. निचली अदालत ने जब संसद के बजट सत्र में इस विधेयक को पारित किया था उस समय राजग सरकार को अपने ही सदस्‍यों के सवालों का सामना करना पडा था.

कुछ भाजपा सदस्‍यों ने पूछा था कि क्या इसका इस्तेमाल कंपनियों द्वारा आम आदमी को परेशान करने के लिए नहीं किया जा सकता. इस विधेयक के उद्देश्‍य में कहा गया है कि चेक वापस होने के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय से पीडित व्यक्ति की बजाय चूककर्ता को अनुचित संरक्षण प्राप्त हो जाएगा.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version