नयी दिल्ली : चीन के राजदूत ली यूचेंग ने आज कहा कि भारत में कंपनियों के निवेश के रास्ते में बडी बाधा जमीन अधिग्रहण है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत सरकार निवेश आकर्षित करने को लेकर भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित करा लेगी. उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में यूचेंग ने कहा, ‘हमें निश्चित रूप से और कारखाने लगाने के लिये जमीन की जरुरत है. समस्या भूमि अधिग्रहण की है. यह सबसे बडी बाधा है.
जब स्थानीय लोगों का पता चलता है कि उनके क्षेत्र में बडा कारखाना या औद्योगिक पार्क स्थापित किया जा रहा है और वे विस्थापित होंगे, वे और मुआवजे की मांग करते हैं. इसीलिए भूमि की लागत अपेक्षा से अधिक बढती है जिससे और समस्या होती है.’
उन्होंने कहा, ‘हम भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी की अपेक्षा कर रहे हैं. निवेश के लिये जमीन चाहिए, औद्योगिक पार्क के लिये भी जमीन चाहिए. हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार विधेयक पारित करा लेगी और निवेश के लिये जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को सुगम बनाएगी.’ भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा 2014-15 में करीब 34 प्रतिशत बढकर 48.43 अरब डालर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 36.21 अरब डालर था.
राजदूत ने कहा, ‘व्यापार असंतुलन को दूर करने का मूल तरीका भारत में चीन के निवेश को बढावा देना और उन उत्पादों के लिये कारखाने लगाना है जो चीन से आयात होते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से हम भारत की औषधि, आइटी और कृषि जिंसों के लिये चीन के बाजार में पहुंच बढाएंगे.’
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