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मई महीने में बेतहाशा बढ़ी खुदरा महंगाई

नयी दिल्ली : दालों के भाव चढने से मई महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.01 प्रतिशत हो गयी. हालांकि माह के दौरान फल एवं सब्जियों के दाम में कमी आयी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 4.87 प्रतिशत थी. पिछले वर्ष मई में 8.33 प्रतिशत थी. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा […]

नयी दिल्ली : दालों के भाव चढने से मई महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.01 प्रतिशत हो गयी. हालांकि माह के दौरान फल एवं सब्जियों के दाम में कमी आयी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 4.87 प्रतिशत थी. पिछले वर्ष मई में 8.33 प्रतिशत थी. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के अनुसार दलहन के भाव मई 2015 में इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने की तुलना में 16.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

फसल वर्ष 2014-15 में बेमौसम बारिश जैसे प्रतिकूल मौसम के कारणदलहन के उत्पादन में करीब 20 लाख टन की कमी आयी है. मौद्रक नीति के लिये खुदरा मुद्रास्फीति को मानक बनाने वाली रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि कीमत वृद्धि अभी चिंता का कारण है. रिजर्व बैंक ने जनवरी 2016 तक खुदरा मुद्रास्फीति दर बढकर 6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है. आलोच्य महीने के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ गयी जो अप्रैल 2015 में 5.11 प्रतिशत थी.

मई 2014 में खाद्य मुद्रास्फीति 8.89 प्रतिशत थी. फल एवं सब्जियों की मुद्रास्फीति मई, 2015 में क्रमश: 3.84 प्रतिशत तथा 4.64 प्रतिशत थी. दूध और दुग्ध उत्पाद मई 2015 में पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले 7.43 प्रतिशत महंगे रहे. मांस और मछली जैसे अधिक प्रोटीन वाले वस्तुएं 5.43 प्रतिशत और मसाले 8.82 प्रतिशत महंगे हुए. तैयार स्नैक्स और खाद्यों की कीमत 7.89 प्रतिशत, कपडा तथा जूते-चप्पल जैसे सामान 6.12 प्रतिशत, आवास 4.64 प्रतिशत तथा ईंधन एवं बिजली 5.96 प्रतिशत महंगी हुई.

अन्य वस्तुओं में तिलहन और वसा की कीमत 1.95 प्रतिशत, अनाज तथा उसके उत्पाद 1.98 प्रतिशत महंगे हुए जबकि अंडा 0.78 प्रतिशत नरम हुआ. मई के मुद्रास्फीति के आंकडें पर टिप्पणी करते हुए इक्रा ने कहा, ‘आलोच्य महीने में ईंधन के दाम में वृद्धि को देखते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में हल्की वृद्धि हमारे अनुमान के अनुरुप है.’ एजेंसी के अनुसार, ‘जून 2015 में नीतिगत दर में कटौती के बाद हमारा मानना है कि मानसून में कमी तथा उसके खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रभाव के स्पष्ट होने तक इस मामले में यथास्थिति बनी रहेगी.’

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