उच्चतम न्यायालय ने जमानत देने से किया इनकार, अभी जेल में ही रहेंगे सहारा प्रमुख
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है.न्यायालय ने कहा कि राय की रिहाई की तारीख से सहारा द्वारा सेबी को 18 […]
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है.न्यायालय ने कहा कि राय की रिहाई की तारीख से सहारा द्वारा सेबी को 18 माह में 36,000 करोड रुपये नौ किस्तों में देने होंगे. पहली किश्त 3,000 करोड रुपये की होगी और दो बार चूक करने पर सेबी, सहारा द्वारा दी गई बैंक गारंटी को भुना सकता है.
बहरहाल, राय जेल में हैं और उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से कहा कि 5,000 करोड रुपये की बैंक गारंटी जमा करना मुश्किल है क्योंकि वित्तीय संस्थानों में से एक संस्थान अपने वादे से पीछे हट गया है. न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की पीठ ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा ‘‘हमने बैंक गारंटी के फार्मेट को कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया है.’’ न्यायालय ने 4 मार्च 2014 से तिहाड जेल में बंद 65 वर्षीय राय से सेबी को 18 माह में 36,000 करोड रुपये का भुगतान करने को कहा. यह राशि राय की रिहाई की तारीख से नौ किस्तों में दी जाएगी.
अगर राय भुगतान की दो किस्तें नहीं दे पाते हैं तो उस स्थिति में न्यायालय ने बाजार नियामक सेबी को सहारा प्रमुख द्वारा दी गई बैंक गारंटी कैश करने की अनुमति दे दी. पीठ ने आगे कहा कि अगर राय तीन किस्तों का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें जेल जाने के लिए आत्मसमर्पण करना होगा.
उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा ‘‘हम उन्हें :राय और जेल में बंद दो अन्य निदेशकों को: उनका पासपोर्ट अदालत में जमा करने का आदेश देते हैं. उन्हें इस अदालत की पूर्व अनुमति लिए बिना देश से बाहर नहीं जाना चाहिए.’’ साथ ही न्यायालय ने राय को देश में अपनी गतिविधियों के बारे में हर पंद्रह दिन में तिलक मार्ग पुलिस थाने को अवगत कराने के लिए भी कहा.
गौरतलब है कि सुब्रत राय और उनके समूह के दो निदेशक निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के अदालत के आदेश को नहीं मानने के कारण सहारा प्रमुख गत वर्ष 4 मार्च से जेल में बंद हैं. यह वह राशि है जो उनके समूह की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल और एसएचएफसीएल ने 2007-2008 में निवेशकों से वसूल की थी.
आपको बता दें कि न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायाधीश अनिल आर दवे और न्यायाधीश एके सीकरी की पीठ ने सेबी और सहारा प्रमुख से बड़े पैमाने पर सुनवाई के बाद 14 मई को रॉय की एक याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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