सोने की मांग पर अंकुश के लिए स्वर्ण बांड योजना का प्रस्ताव

नयी दिल्ली: भौतिक रुप में सोने की मांग पर अंकुश रखने के लिए सरकार ने आज सावरेन स्वर्ण बांड जारी करने का प्रस्ताव किया है. इस पर सोने की छड और सिक्कों की तरह ही पूंजीगत लाभ कर लग सकता है.योजना के मसौदे में कहा गया है कि डीमैट स्वर्ण बांड देशभर में डाकघरों और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2015 6:06 PM

नयी दिल्ली: भौतिक रुप में सोने की मांग पर अंकुश रखने के लिए सरकार ने आज सावरेन स्वर्ण बांड जारी करने का प्रस्ताव किया है. इस पर सोने की छड और सिक्कों की तरह ही पूंजीगत लाभ कर लग सकता है.योजना के मसौदे में कहा गया है कि डीमैट स्वर्ण बांड देशभर में डाकघरों और ब्रोकरों के जरिये कमीशन आधार पर बेचे जायेंगे. योजना का उद्देश्य देश में हर साल खरीदे जाने वाले करीब 300 टन सोने की छड का कुछ हिस्सा डिमैट स्वर्ण बांड के लिये स्थानांतरित करना है.

परिचर्चा पत्र में कहा गया कि मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर 13,500 करोड रपए के 50 टन के बराबर स्वर्ण बांड जारी किए जाएंगे. इस योजना पर दो जुलाई तक जनता की टिप्पणियां मांगी गई हैं.

मसौदे में कहा गया ‘‘यह राशि बहुत अधिक नहीं है इसलिए इसे 2015-16 के बाजार उधारी कार्यक्रम में समाहित कर लिया जायेगा.’’ कराधान के संबंध में मसौदे में कहा गया कि पूंजी लाभ कर उसी तरह लगाया जाएगा जैसा कि भौतिक रुप में सोने पर लगता है.

इसमें कहा गया है ‘‘इससे यह सुनिश्चित होगा कि जहां तक कराधान का सवाल है निवेशक के लिए बांड या सोने में निवेश के बीच कोई फर्क नहीं होगा. इस पर अभी भी विचार हो रहा है.’’

ये बांड दो, पांच, 10 ग्राम या अन्य अंकित मात्र के होंगे. इनकी न्यूनतम परिपक्वता अवधि पांच से सात साल होगी ताकि सोने की कीमत में मध्यम अवधि में होने वाले उतार-चढाव से निवेशकों का बचाव किया जा सके.

मसौदे में कहा गया ‘‘बांड सावरेन ऋण का हिस्सा होगा इसलिए इसे 2015-16 और बाद में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के अनुरुप रहना होगा.’’ बांड का उपयोग ऋण के लिए गिरवी के तौर पर किया जा सकता है और ऋण एवं मूल्य का अनुपात समय-समय पर आरबीआई द्वारा साधारण स्वर्ण ऋण के लिए तय किए जाने वाले नियम की तरह होगा.

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