नीतिगत अस्थिरता से भारत में निवेश प्रभावित हुआ : अरुण जेटली

न्यूयार्क : भारत में अगले एक से दो साल में 8 से 9 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है और वैश्विक निवेशक इस तरह की अर्थव्यवस्था को नजरअंदाज नहीं कर सकते. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह बात कही. उन्‍होंने पूर्व में नीतिगत मोर्चे पर अस्थिरता को देश में निवेश प्रभावित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 19, 2015 11:14 PM

न्यूयार्क : भारत में अगले एक से दो साल में 8 से 9 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है और वैश्विक निवेशक इस तरह की अर्थव्यवस्था को नजरअंदाज नहीं कर सकते. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यह बात कही. उन्‍होंने पूर्व में नीतिगत मोर्चे पर अस्थिरता को देश में निवेश प्रभावित होने के लिए जिम्मेदार ठहराया. कोलंबिया बिजनेस स्कूल द्वारा आयोजित ‘टॉक’ में वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक भारत में निवेश का सवाल है उसमें निश्चित रूप से सुधार हुआ है.

उन्‍होंने कहा कि पिछले साल देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 39 प्रतिशत बढा. एफडीआइ और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ) का निवेश लगभग समान रहा. वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) को एक साल में करीब 350 आग्रह मिले. यह प्रतिदिन एक बैठता है. उन्‍होंने कहा कि निश्चित रूप से इसकी संख्या बढेगी.

उन्‍होंने कहा, ‘जहां तक मैं देखता हूं बडे बाजार वाली अर्थव्यवस्था जहां बडी संख्या में प्रशिक्षित दिमाग हैं और जिसमें अगले एक दो साल में 8 से 9 प्रतिशत या अधिक की दर से बढने की क्षमता है, ऐसी अर्थव्यवस्था को वैश्विक निवेशक नजरअंदाज नहीं कर सकते.’ इस बातचीत के बाद जेटली वाशिंगटन डीसी के लिए रवाना हो गए. उन्‍होंने कहा कि पूर्व में भारत में वैश्विक निवेश अस्थिर नीति विशेष रूप से कराधान नीति की वजह से प्रभावित हुआ है.

वित्त मंत्री ने कहा कि निवेशक हमेशा ऐसी नीति चाहते हैं जो स्थिर या सुधरी हो. वे पीछे की ओर नहीं लौटना चाहते. कराधान के मामले में जेटली ने कहा कि यदि हम ऐसा रुख अपनाते हैं जो टिकाउ नहीं है, तो हम खुद के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं. जेटली ने छात्रों, शिक्षाविदों, कारोबारी प्रमुखों व विश्लेषकों को संबोधित करते हुए कहा कि अगले कुछ साल में कारपोरेट कर की दरों को घटाकर 25 फीसद पर लाया जाएगा.

वस्तु एवं सेवा कर के बारे में उन्‍होंने कहा कि हम इस कर व्यवस्था को 1 अप्रैल, 2016 से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि जीएसटी ऐसा विचार है जो राज्‍यों और देश को उनके लाभ के लिए स्वीकार है. उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ उलटी सोच रखने वाले ही चाहेंगे कि इसे टाला जाए. लेकिन इस तरह की सोच भारतीय अर्थव्यवस्था की कीमत पर होगी. उन्‍होंने विपक्ष से इस प्रक्रिया में सहयोग करने को कहा.

जेटली ने कहा कि पिछली तारीख से कराधार उनकी मेज पर ऐसा मुद्दा है जो सुलझ नहीं पाया है. उन्‍होंने स्पष्ट किया कि नरेंद्र मोदी सरकार कह चुकी है कि वह पिछली तारीख से कराधान के अधिकार का इस्तेमाल नहीं करेगी. इससे सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया से सुलझाया जाएगा. जेटली ने कहा कि जहां तक भविष्य का सवाल है तो उसमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन विरासत में मिली दिक्कतें हमें परेशान कर रही हैं.

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