30,000 भारतीय नर्सों को मजबूरन छोडना पड सकता है ब्रिटेन

लंदन : ब्रिटेन के नये आव्रजन नियमों के तहत सरकार वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में रोगजार प्राप्त 30,000 से अधिक भारतीय तथा अन्य गैर-यूरोपीय देशों की नर्सों को मजबूरन देश छोडना पड सकता है. ब्रिटेन के रॉयल कालेज आफ नर्सिंग (आरसीएन) ने आगाह किया है कि सालाना 35,000 पौंड वेतन की नयी सीमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 22, 2015 8:20 PM

लंदन : ब्रिटेन के नये आव्रजन नियमों के तहत सरकार वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में रोगजार प्राप्त 30,000 से अधिक भारतीय तथा अन्य गैर-यूरोपीय देशों की नर्सों को मजबूरन देश छोडना पड सकता है. ब्रिटेन के रॉयल कालेज आफ नर्सिंग (आरसीएन) ने आगाह किया है कि सालाना 35,000 पौंड वेतन की नयी सीमा से गैर-यूरोपीय देशों के 30,000 से अधिक नर्सिंग स्टाफ प्रभावित हो सकते हैं.

फिलीपीन के बाद भारत दूसरा देश है जहां से काफी संख्या में नर्सें यहां आती हैं. एनएचएस में 15,000 से अधिक नर्सों की कमी है. आरसीएन के महासचिव पीटर कार्टर ने कहा, ‘आव्रजन नियमों से एनएचएस तथा अन्य सेवाओं के लिये अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है. एक तरफ जहां मांग बढ रही है, ब्रिटेन विदेशों से लोगों को नौकरी देने को कठिन बन रहा है.’

कंजर्वेटिव पार्टी की अगुवाई वाली सरकार गैर-यूरोपीय आव्रजकों के लिये नये कडे नियम पेश करने पर विचार कर रही है. इसमें कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतन सीमा शामिल है. नये नियमों के लिये अंतिम तिथि 2011 तय की गयी है जिसका अर्थ है कि न्यूनतम सीमा से कम आय अर्जित कर रही नर्सों को 2017 में स्‍वदेश लौटना होगा.

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