सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका) : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जून 1975 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित आपातकाल को स्वतंत्र भारत का सबसे अंधकारपूर्ण दौर करार देते हुए आज कहा कि विश्व के इस सबसे बडे लोकतंत्र को अब तानाशाही में बदलना संभव नहीं हैं. जेटली ने कहा कि आपातकाल ऐसा समय था जिसने यह दर्शाया कि संविधान के कुछ प्रावधानों का इस्तेमाल कर लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील किया जा सकता है और नौकरशाही, पुलिस, मीडिया एवं न्यायपालिका जैसी प्रमुख संस्थाएं धराशायी हो सकती हैं.
उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि आज वैश्विक चेतना लोकतंत्र के पक्ष में है और तानाशाही पर जिस तरह के प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं, वहीं इसका निवारण हो सकते हैं.’ जेटली ने यहां कहा, ‘मुझे लगता है कि मीडिया भी मजबूत है, राजव्यवस्था मजबूत है और वैश्विक संस्थान भी मजबूत हैं. विश्व आज यह स्वीकार नहीं करेगा कि आज वैश्विक स्तर पर सबसे बडा लोकतंत्र तानाशाही में तब्दील हो जाए.’
भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी के हाल के उस बयान पर बडा विवाद छिड गया था जिसमें उन्होंने कहा था, ‘लोकतंत्र को कुचलने वाली ताकतें अभी अपेक्षाकृत अधिक मजबूत हैं और आपातकाल जैसी परिस्थिति फिर पैदा हो सकती है. कांग्रेस ने जेटली की इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाने के तौर पर देखा जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे ‘मोदी की राजनीति पर पहला अभियोग है.’
अन्य विपक्षी दलों ने भी कहा कि आडवाणी की टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. आडवाणी की टिप्पणी का हवाला दिये बगैर जेटली ने कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण आज मीडिया सेंसरशिप संभव नहीं है. जेटली ने कहा ‘समाचारों का प्रसार इंटरनेट के जरिए हो रहा है और इंटरनेट को सेंसर नहीं किया जा सकता है.’ जेटली ने कहा कि राज-व्यवस्था आपाकाल में भी मजबूत थी लेकिन ‘मीडिया ने मोटे तौर पर घुटना टेक दिया था.’
आपातकाल से जुडे अपने अनुभवों को याद करते हुए जेटली ने कहा ‘उन्हें उम्मीद है कि आज न्यायपालिका कहीं अधिक स्वतंत्र हैं और यह तानाशाही प्रवृत्तियों के आगे नहीं झुकती जैसे आपातकाल में झुक गई थी.’ उन्होंने कहा ‘दरअसल अब बिना किसी आधार के लिए किसी की गिरफ्तारी संभव नहीं है, मीडिया सेंसरशिप अब संभव नहीं है और उम्मीद है कि न्यायपालिका कहीं अधिक स्वतंत्र है इसलिए अब किसी के लिए भी इन तीनों स्तंभों के बगैर लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील करना संभव नहीं है.’
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