मनी लांड्रिंग : आरबीआइ को बैंक जांच रपट साझा करने की सलाह
नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक को विधि मंत्रालय ने सलाह दी है कि वह अपनी बैंक जांच रपटों के निष्कर्ष गुप्तचर व प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा करे ताकि मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाई जा सके तथा अन्य बैंकिंग नियमों के उल्लंघन को रोकने में मदद मिले. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व […]
नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक को विधि मंत्रालय ने सलाह दी है कि वह अपनी बैंक जांच रपटों के निष्कर्ष गुप्तचर व प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा करे ताकि मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाई जा सके तथा अन्य बैंकिंग नियमों के उल्लंघन को रोकने में मदद मिले. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक कानूनी दिक्कतों का हवाला देते हुए अपनी जांच रपटों को केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीइआइबी) के साथ साझा करने से इनकार करता रहा है.
वित्त मंत्रालय के अधीन यह ब्यूरो शीर्ष आसूचना एजेंसी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली आर्थिक आसूचना परिषद (इआइसी) की बैठक में जांच रपटें साझा नहीं करने के मुद्दे पर चर्चा हुई. इस मामले को सलाह के लिए विधि मंत्रालय के पास भेजने का फैसला किया गया. सूत्रों के अनुसार विधि मंत्रालय ने हाल ही में राय दी कि बैंकिंग नियमन कानून 1949 तथा अन्य बैंकिंग कानून आरबीआइ को जांच या परख रपटों का निष्कर्ष विधि प्रवर्तन एजेंसियों या सीइआइबी के साथ साझा करने से नहीं रोकते हैं.
मंत्रालय की राय से केंद्रीय बैंक को अवगत करा दिया गया है. सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक द्वारा अपनी जांच रपटों के प्रासंगिक निष्कर्ष को विधि प्रवर्तन एजेंसियों तथा सीइआइबी के साथ साझा किये जाने की जरुरत है ताकि उन मामलों में काले धन तथा अन्य वित्तीय अपराधों पर काबू पाने में मदद मिले जहां केवाईसी दिशा निर्देशों व मनी लांड्रिंग निरोधक कानून का उल्लंघन दर्ज किया गया हो.
सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक ने सीइआइबी को सूचित किया है कि वह इस मामले पर अपने विधि विभाग के साथ चर्चा कर रहा है. रिजर्व बैंक अपनी जांच रपटों के निष्कर्ष को ब्यूरो के साथ साझा कर सकता है. रिजर्व बैंक ने सीइआइबी को रपटें उपलब्ध कराने से इस आधार पर इनकार किया था कि उक्त ब्यूरो संविधिक निकाय नहीं है.