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रिजर्व बैंक कर्ज लेकर नहीं चुकाने वाली कंपनियों पर कस सकता है नकेल, अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट में संकेत
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कर्ज लेकर काम कर रही कंपिनयों के प्रति अपना रुख कडा करने का संकेत दिया है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि बडे पैमाने पर धन कर्ज पर लेकर काम कर रही कंपनियां बैंक उधारी की वृद्धि दर को धीमा कर रही हैं. रिजर्व बैंक ने ऐसी […]
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से कर्ज लेकर काम कर रही कंपिनयों के प्रति अपना रुख कडा करने का संकेत दिया है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि बडे पैमाने पर धन कर्ज पर लेकर काम कर रही कंपनियां बैंक उधारी की वृद्धि दर को धीमा कर रही हैं. रिजर्व बैंक ने ऐसी कंपनियों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि ये मौद्रिक नीति का लाभ कारोबारियों व उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में बाधक बन रही हैं.
इस रिपोर्ट की भूमिका रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने लिखी है. उन्होंने कहा है कि बीते दो साल में आर्थिक बुनियादी कारकों में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा है कि भारत की उभरती अर्थव्यवस्था किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में पहुंच सकती है.
वित्तीय स्थिरता लाने की कोशिश
रिजर्व बैंक ने देश में वित्तीय स्थिरता लाने के लिए भी अहम सुझाव दिये हैं. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों को बचाव के उपाय करने के बाद रिस्क लेने में पीछे नहीं रहना चाहिए. इसके लिए बैंकोें विशेषज्ञता को डेवलप करें. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बैंकों को सलाह दी है कि रिस्क की पहचान करने में वे प्रो एक्टिव एप्रोच अपनायें. रिजर्व बैंक ने कहा है कि लघु अवधिक विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए मुक्कमल जांच के बाद बैंकों को कर्ज देने में परहेज नहीं करना चाहिए.
रिजर्व बैंक ने कहा है कि अगर वित्तीय तंत्र मजबूत व भरोसेमंद होता है, तो इससे दीर्घकालिक अवधि के लिए विकास दर हासिल की जा सकती है. रिजर्व बैंक ने एक अहम बात यह कही है कि भारत अब भी उस सीमा से काफी पीछे, जहां से विकास दर का प्रभाव कम होने लगता है.
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