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ग्रीस संकट से भारत सरकार सतर्क, वित्त मंत्रालय व रिजर्व बैंक एक-दूसरे के संपर्क में

नयी दिल्ली : यूनान संकट के चलते भारत से विदेशी पूंजी की तेज निकासी होने की आशंका के चलते सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क में है. वित्त सचिव राजीव महर्षि ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा ह्यह्यजाहिर है, […]

नयी दिल्ली : यूनान संकट के चलते भारत से विदेशी पूंजी की तेज निकासी होने की आशंका के चलते सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से संपर्क में है. वित्त सचिव राजीव महर्षि ने आज यह जानकारी देते हुए कहा कि आरबीआई स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा. उन्होंने संवाददाताओं से कहा ह्यह्यजाहिर है, हम आरबीआई के साथ संपर्क में हैं, लेकिन वह जो करना है, करेंगे. गौरतलब है कि यूनान पर अनिश्चितता के कारण सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में आज 500 अंक से अधिक लुढक गया था, हालांकि अपराह्न में सुधार हुआ और अंत में 167 अंक टूट कर बंद हुआ. यूनान को कर्ज देने वालों के साथ वहां की सरकार का कोई समझौता नहीं होता देख डर है कि वह अंतराष्ट्रीय मुद्राकोष के कर्ज की किश्त नहीं चुका पाएगा जिसकी मियाद पूरी हो रही है.

समझौता न होने से उसे यूरोपीय केंद्रीय बैंक से फौरी जरूरत के लिए कर्ज सुविधा मिलना भी बंद हो सकता है, वहां के बैंकों के लिए भारी समस्या खडी हो सकती है. महर्षि ने कहा कि यूनान के हालात का भारत पर सीधा असर नहीं होगा, लेकिन यूरोप के जरिए यहां पूंजी प्रवाह और निकासी पर कुछ अप्रत्यक्ष असर होगा. महर्षि ने यहां संवाददाताओं से कहा यूनान संकट का भारत पर कोई सीधा असर नहीं होगा. यूरोप में ब्याज दरें बढ सकती है. यूरोप में ब्याज दर में बढोतरी की स्थिति में भारत से पूंजी निकासी जोर पकड सकती है. उन्होंने कहा कि हालात बदल रहे हैं. इस संकट से यूरो पर असर पडने की वजह से भारत पर भी इसका अप्रत्यक्ष असर पड सकता है.
उन्होंने कहा जितना असर यूरो पर होगा उतना ही अप्रत्यक्ष असर भारत पर होगा यदि यूरो बांड पर मुनाफा बढता है तो इसका भारत में निवेश और निकासी दोनों पर असर होगा. महर्षि ने कहा कि कोई इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि हालात कैसे होंगे. उन्होंने कहा निश्चित तौर पर हम आरबीआई के संपर्क में हैं, लेकिन उन्हें करना है वो करेंगे. यह पूछने पर कि क्या किसी भारतीय कंपनी ने यूनान में धन लगा रखा है तो उन्होंने कहा, मुझे पता नहीं. उन्होंने कहा, यदि अमेरिका में सरकारी प्रतिभूति पर मुनाफा बढता है तो इसका भारत में निवेश और निकासी पर असर हो सकता है. हमें यह नहीं पता कि विदेशी निवेशक अपना निवेश कहां ले जाएंगे.

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