नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि वह फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की अगले तीन साल की धन की जरुरतों का आकलन कर रही है. उन्होंने एक व्यापक पैकेज के तहत उन्हें पर्याप्त पूंजी सहायता प्रदान करने का वादा किया है ताकि वे मजबूती से काम कर सकें. आइवीसीए द्वारा यहां आयोजित एक समारोह में वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा ‘हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अगले दो-तीन साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कितनी पूंजी की जरुरत होगी. हम उनकी मदद और जितनी जरुरत है उतनी पूंजी प्रदान करने के लिए तैयार हैं.’
एक उच्च स्तरीय समिति इनकी पूंजी अनिवार्यता का आकलन कर रही है. इसमें सिन्हा और वित्तीय सेवा सचिव हंसमुख अधिया भी हैं. समिति की आखिरी बैठक बेंगलुरु में तीन जुलाई को होगी. पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि बेसल-तीन मानदंड के मुताबिक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2018 तक 2.40 लाख करोड रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने की जरुरत है. चालू वित्त वर्ष के बजट में इसके लिए 7,940 करोड रुपये का प्रावधान किया गया है.
हालांकि वित्त मंत्री ने पिछले महीने वादा किया था कि चालू वित्त वर्ष में बजट राशि से भी अधिक पूंजी मुहैया करायी जाएगी. सिन्हा ने कहा ‘जहां तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सवाल है हमने व्यापक पैकेज की व्यवस्था की है. हम जो करना चाह रहे हैं उसके पांच आयाम और पहलू हैं.’ सिन्हा ने कहा कि पहला काम, सरकार संचालन व्यवस्था में सुधार कर रही है. इसके तहत प्रबंध निदेशकों और निदेशक मंडल की भूमिका में बदलावों पर ध्यान दिया जा रहा है. जल्दी ही यह काम पूरा होगा.
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