”कॉल ड्राप” रोकने के लिए मोबाइल नेटवर्क का होगा विशेष ऑडिट

नयी दिल्ली : कॉल ड्रॉप यानी बात करते-करते ही कॉल कट जाने की समस्या बढती जा रही है. इस पर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार ने मोबाइल नेटवर्कों के विशेष ऑडिट का आदेश दिया है. इसके अलावा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को मोबाइल आपरेटरों की सेवा गुणवत्ता के आधार पर ‘प्रोत्साहित अथवा हतोत्साहित’ करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2015 9:30 PM

नयी दिल्ली : कॉल ड्रॉप यानी बात करते-करते ही कॉल कट जाने की समस्या बढती जा रही है. इस पर गंभीर चिंता जताते हुए सरकार ने मोबाइल नेटवर्कों के विशेष ऑडिट का आदेश दिया है. इसके अलावा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को मोबाइल आपरेटरों की सेवा गुणवत्ता के आधार पर ‘प्रोत्साहित अथवा हतोत्साहित’ करने की एक प्रणाली बनाने को कहा गया है.

दूरसंचार आपरेटरों के लिए कडे शब्‍दों का इस्तेमाल करते हुए दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज कहा, ‘उन्हें पर्याप्त मात्रा में स्पेक्ट्रम दिया गया है. नेटवर्क का उन्नयन करने का काम व जिम्मेदारी उनकी है.’ हालांकि, प्रसाद ने इस पर सहमति जताई कि विकिरण (रेडिएशन) व अन्य चिंताओं की वजह से मोबाइल टावर लगाने को साइटों की कमी है, इससे आपरेटरों की सेवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. आपरेटर कई बार कॉल ड्राप के लिए इसको एक वजह बता चुके हैं.

मंत्री ने कहा कि भारत में जो विकिरण नियम क्रियान्वित किये गये हैं वे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों से दस गुना कडे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कॉल ड्रॉप के लिए आपरेटरों पर किसी तरह का जुर्माना लगाया जाएगा, प्रसाद ने कहा, ‘हमने ट्राई को प्रोत्साहित व हतोत्साहित के लिए ढांचा बनाने का आग्रह भेजा है.’

ट्राई को सेवाओं की गुणवत्ता के मानदंड बनाने और उनका अनुपालन सुनिश्चित कराने का अधिकार दिया गया है. प्रसाद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसके बावजूद कॉल ड्रॉप का मुद्दा सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है. सरकार का विचार है कि ट्राई के प्रयासों को दूरसंचार विभाग की कार्रवाई के जरिये पूरा किया जाना चाहिए.

सभी कंपनियों के पास पर्याप्‍त मात्रा में स्‍पेक्‍ट्रम

दूरसंचार मंत्री ने कहा कि मार्च में हुई नीलामी में पर्याप्त मात्रा में स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया गया. ‘सरकार का मानना है कि दूरसंचार आपरेटरों को अपने नेटवर्क का उन्नयन करना चाहिए. यह उनका काम व जिम्मेदारी है.’ प्रसाद ने आपरेटर नेटवर्क का अधिकतम इस्तेमाल करने को अभियान चलाने व समय समय पर इसकी निगरानी करने को कहा है.

उन्‍होंने कहा, ‘मैंने विभाग को सेवाओं की गुणवत्ता के मानदंडों का विशेष आडिट करने का निर्देश दिया है, जो नेटवर्क के प्रदर्शन पर केंद्रित होगा. यह काम विभाग के दूरसंचार प्रवर्तन, संसाधन व निगरानी प्रकोष्ठ (टर्म) द्वारा किया जाएगा. उन्‍होंने कहा कि आडिट से समस्या को समझने, मानदंडों की प्रकृति को जानने में मदद मिलेगी. साथ ही इसमें यह भी सुझाव दिया जाएगा कि स्थिति में कैसे सुधार किया जा सकता है.

पहले चरण में दूरसंचार विभाग द्वारा आडिट सभी महानगरों व राज्‍यों की राजधानी में किया जाएगा. इस मुद्दे की समीक्षा करते हुए दूरसंचार मंत्री ने कहा कि शहरों में डाटा ट्रैफिक में इजाफे और स्मार्ट फोनों की बढती संख्या की वजह से दूरसंचार नेटवर्क भीडभाड वाला हो गया है.

मोबाइल टावर रेडिएशन के खतरनाक होने की पुष्टि नहीं

विभिन्न निष्कर्षों व विश्व स्वास्थ्य संगठन के निष्कर्ष का हवाला देते हुए प्रसाद ने कहा, ‘कॉल ड्रॉप का मुद्दा व बीटीएस (मोबाइल टावरों) को हटाने का अभियान साथ-साथ नहीं चल सकते. ‘यदि कोई रेडिएशन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण देता है, तो मैं उसे देखने को तैयार हूं. मुद्दा यह नहीं है कि रेडिएशन है या नहीं, बल्कि मुद्दा है कि यह खतरनाक है या नहीं.’

दूरसंचार मंत्री प्रसाद ने कहा कि दूरसंचार मंत्रालय शहरी विकास मंत्रालय व नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) से संपर्क करेगा जिससे विशेष नियम व शर्तों के साथ सरकारी भवनों का इस्तेमाल मोबाइल टावर लगाने के लिए किया जा सके. उन्‍होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने आज की तारीख तक 25,000 अध्ययनों का उल्लेख किया है. मौजूदा प्रमाण ईएमएफ रेडिएशन से स्वास्थ्य पर किसी प्रतिकूल प्रभाव की पुष्टि नहीं करते.

प्रसाद ने कहा कि ज्यादातर संचार इमारत के अंदर होता है और सरकार इन बिल्डिंग सॉल्यूशन बनाने का प्रयास कर रही है, जिससे किसी भवन के अंदर कॉल ड्रॉप की समस्या न हो.

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