असमय बारिश से हुए फसलों के नुकसान को देखते हुए वाणिज्य एवं उद्योग संगठन एसौचैम ने सब्जियों की कीमतों में इजाफे का संकेत दिया है. खुदरा महंगाई दर जून में बढ़ जाने के कारण अभी वैसे ही सब्जियों की कीमतें आसमान पर हैं. असमय बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान सब्जी फसलों को ही होता है. उम्मीद है आने वाले महीनों में प्याज की कीमतों में और अधिक इजाफा होगा. प्याज फिर से रुला सकता है.
प्याज की कीमतों में 10 से 15 फीसदी इजाफे का अनुमान है. अभी विभिन्न थोक मंडियों में प्याज 1800 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है जबकि खुदरा विक्रेता इसे 30 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम बेच रहे हैं. सरकार के लाख प्रयास के बाद भी जमाखोरी नहीं रुक पा रही है, और जमाखेर जब चाहें किसी भी वस्तु की कीमतें बढा दे रहे हैं.
एसोचैम की रिपोर्ट में कहा गया कि प्याज की कीमत में इस स्तर से और बढ़ोतरी उपभोक्त मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई में और तेजी ला सकता है. प्याज प्रत्येक परिवार के लिए आवश्यक वस्तु है और इसके दाम में बढ़ोतरी होना आम लोगों के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के लिए मुसीबत की तरह रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, पैदावार घटने से भंडार में भी कमी आ सकती है. इसलिए, उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले प्याज के बेहतर भंडारण की जरूरत है. देश में प्याज की कुल पैदावार में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात का दो-तिहाई से अधिक योगदान है. इसमें अकेले महाराष्ट्र की हिस्सा करीब 30 फीसदी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम और कीमत के आधार पर देश में प्याज की खपत 80 लाख टन से 1.2 करोड़ टन के बीच है. इस हिसाब से प्रति माह खपत 10 लाख टन और सालाना खपत का औसत एक करोड़ 20 लाख टन है. इस प्रकार भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण सड़ने-गलने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुये देश में हर साल करीब 1.4 करोड़ टन प्याज की जरूरत पड़ती है.
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