नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) मौद्रिक समीक्षा की अगली बैठक में नीतिगत दर यथावत रख सकता है लेकिन साल के अंत में इसमें कटौती कर सकता है क्योंकि तब तक मानसून की स्थिति काफी कुछ साफ हो जाएगी. बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) और एचएसबीसी ने आज अलग-अलग रपट में कहा कि आरबीआइ अगले सप्ताह होने वाली समीक्षा में नीतिगत दर स्थिर रख सकता है लेकिन आने वाले दिनों में और कटौती की संभावना है.
बोफा-एमएल के मुताबिक, आरबीआइ यथास्थिति बरकरार रखेगा ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए दरों में और कटौती का विकल्प खुला है. बोफा-एमएम ने एक रपट में कहा ‘हमारी यह उम्मीद बरकरार है कि रिजर्व बैंक नीतिगत दर में और आधा प्रतिशत कटौती करेगा क्योंकि मुद्रास्फीति जनवरी 2016 तक छह प्रतिशत से कम रखने के लक्ष्य के अनुरुप बनी हुई है.’
उसकी उम्मीद है कि रिजर्व बैंक सितंबर तक 0.25 प्रतिशत और अंत में फरवरी में नीतिगत दर में कटौती करेगा. एचएसबीसी के मुताबिक यदि बारिश में बाधा नहीं होती है और आरबीआई का मुद्रास्फीति संबंधी जनवरी 2016 तक का लक्ष्य पहुंच में रहता तो नीतिगत दर में और 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती थी, लेकिन इससे ज्यादा नहीं.
आधिकारिक आंकडों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति जून में आठ महीने के उच्च स्तर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. ऐसा खाद्य उत्पादों, ईंधन, आवास, कपडे, जूते-चप्पल और चीनी आदि की कीमतों में बढोतरी के कारण हुआ. आरबीआइ ने पिछली मौद्रिक समीक्षा में दो जून को रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. यह इस कैलेंडर वर्ष में तीसरी कटौती थी. जून की कटौती के बाद रेपो दर 7.25 प्रतिशत रह गई.
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