रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं मिलने से नाराज राजन ने नहीं घटायी ब्याज दरें
मुंबई : रिजर्व बैंक ने आज अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की. रिजर्व बैंक के गवर्नर डा रघुराम राजन ने ब्याज दर 7.25 प्रतिशत को यथावत रखने का एलान किया. उन्होंने यह संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक आगामी दिनों में घरेलू व वैश्विक हालात को देखने के बाद ब्याज […]
मुंबई : रिजर्व बैंक ने आज अपनी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं की. रिजर्व बैंक के गवर्नर डा रघुराम राजन ने ब्याज दर 7.25 प्रतिशत को यथावत रखने का एलान किया. उन्होंने यह संकेत दिया कि केंद्रीय बैंक आगामी दिनों में घरेलू व वैश्विक हालात को देखने के बाद ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर 4 प्रतिशत पर बना रहेगा. सीपीआइ महंगाई दर का अनुमान भी 0.2 प्रतिशत घटाया गया है.
गवर्नर ने कहा कि एसएलआर यानी स्टैचटारी लिक्विडिटी रेशियो में कटौती होगी. लेकिन यह कब होगी, कहना मुश्किल है. रिजर्व बैंक ने अपनी समीक्षा में कहा है कि आने वाले दिनों में चार चीजों पर रेट कट निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में मॉनसून किधर जायेगा, यह स्पष्ट होगा. अमेरिकी केंद्रीय बैंक क्या करेगा, यह भी स्पष्ट होगा. साथ ही यह यह भी देखना होगा कि रिजर्व बैंक ने अबतक 75 बेसिस प्वाइंट की जो कटौती की है, उसका लाभ आम उपभोक्ता को बैंकों ने किस हद तक दिया है.
रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि लोगों में महंगाई को लेकर उम्मीदें बढ गयी है. उन्होंने कहा कि हाल में खाने पीने की चीजें महंगी हुई हैं. रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि रूस व इजराइल स्लो डाउन की ओर बढ रहे हैं. चीन की मंदी को लेकर चिंता प्रकट की गयी है. लेकिन, अमेरिका व यूरोप के हालात सुधरने को लेकर उम्मीद जतायी गयी है. केंद्रीय बैंक ने अपनी समीक्षा में कहा है कि मॉनसून सामान्य होने पर आने वाले दिनों में ग्रामीण मांग बढेगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी होगा. गवर्नन ने आने वाले दिनों में महंगाई घटने की उम्मीद प्रकट की है. हालांकि उन्होंने इस पर नजर बनाये रखने की बात कही है.
वृद्धि दर 6 फीसदी रहने का अनुमान, बैंकों में पूंजी डालने की पहल का स्वागत
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की ओर से और शेयर पूंजी डालने की पहल का स्वागत करते हुए राजन ने कहा कि इससे उन्हें (बैंकों को) और ज्यादा ऋण देने, वृद्धि, नीतिगत दर में की गई कटौती का और अधिक फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने तथा बैंकों के पास नकदी की स्थिति बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. मुद्रास्फीति के संबंध में उन्होंने कहा कि जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकडा 5.4 प्रतिशत तक पहुंचने से आगे का अनुमान बढ गया है. पर उन्होंने भरोसा जताया कि 2016 तक मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के आसपास ही रहेगी जिसका कि आरबीआइ ने अनुमान लगाया है.
राजन ने हालांकि यह भी कहा कि सबसे चिंताजनक बात है गैर-खाद्य एवं ईंधन मुद्रास्फीति का बढना. साथ ही उन्होंने कहा कि सेवा-कर की बढी हुई दर (14 प्रतिशत) जून से लागू होने का असर मुद्रास्फीति के उपर साल भर दिखेगा. आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं के बारे में राजन ने कहा कि परिदृश्य धीरे-धीरे सुधर रहा है. उन्होंने चालू वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखा. उन्होंने हालांकि चेतावनी दी कि निर्यात में संकुचन आने वाले दिनों में वृद्धि के लिए लंबे समय तक असर छोडेगा. उन्होंने कहा कि जून की तिमाही में वैश्विक आर्थिक गतिविधि में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
तीन बार घटायी ब्याज दरें, ग्राहकों को नही मिला फायदा
रिजर्व बैंक ने कहा मौद्रिक नीति समीक्षा में और इसके अलावे तीन बार रेपो रेट में कटौती की गयी है. इसे 8 फीसदी से 7.25 फीसदी पर लाया गया. इस अनुपात में ग्राहकों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. विश्लेषकों को लग रहा था कि मुद्रास्फीति में बढोतरी को देखते हुए आज की नीतिगत समीक्षा में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. खाद्य कीमत बढने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून में बढकर 5.4 प्रतिशत हो गई थी जो इससे पिछले महीने 5.01 प्रतिशत थी जबकि तुलनात्मक आधार अनुकूल था.
आरबीआइ ने इस साल तीन बार जनवरी, मार्च (समीक्षा से अलग) और जून (समीक्षा के समय) नीतिगत दर में कटौती की. पर कुछ लोग आज भी रेपो में कटौती के पक्ष में थे. उनका अनुमान था कि मुद्रास्फीति का दबाव कम होने की संभावनाओं और आर्थिक वृद्धि में नरमी के मद्देनजर केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती पर विचार करने को प्रेरित होगा. औद्योगिक वृद्धि दर मई में घटकर 2.7 प्रतिशत रही जो पिछले महीने 3.4 प्रतिशत थी.
आरबीआइ अगले साल जनवरी तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के कम के स्तर पर नियंत्रित रखना चाहता है. विश्लेषकों का कहना है कि यह संभव है. केंद्रीय बैंक ने दो साल में इसे घटाकर मुद्रास्फीति को औसतन चार प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है. उम्मीद से बेहतर बारिश, फसल बुवाई का विस्तृत दायरा और ईरान परमाणु सौदे के बाद वैश्विक स्तर पर जिंस मूल्य में गिरावट जैसी अनुकूल परिस्थितियों से मुद्रास्फीति का दबाव कम होने की उम्मीद है.
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